Take Care Of Your Children Teeth In Hindi (Full Details)

(How to take care of your kids teeth in hindi), चेहरे की सुंदरता बढ़ने में दान्तों का भी बहुत महत्वा होता है।बच्चे प्रायः दान्तों की देख रेख के प्रति नादान    होते हैं. माता पिता का फर्ज है कि बचपन में उनकी देख भाल में सहयोग करें और उन्हें साथ साथ प्रशिक्षित करे कि वे कैसे अपने दान्तों को सुरक्षित रख सकते हैं. कम उम्र में ही दांत ख़राब होने जैसे टेढ़ेपन, दांतों में संक्रमण का खतरा रहता है.

दांतों के टेढ़े मेढ़े होने के कारण बोल चाल के कुछ ऐसे शब्द होते है जिनकेउच्चारण दांतों के सहारे होता है, में रुकावटआती ही है, साथ ही खाना चबाने में भी परेशानी होती है. साथ ही टेढ़े मेढ़े दांतों में खाना फंस जाए तो दांत सम्बन्धी अनेक बीमारियां भी हो सकती है. इसलिए टेढ़े मेढ़े दांतों से छुट करा पाना जरूरी होता है.

आइये दोस्तों इस आर्टिकल के द्वारा जानते हैं कि बच्चों के छोटे दांतों का ख्याल कैसे रखें (Take Care Of Your Children Teeth In Hindi)

Take Care Of Your Children Teeth In Hindi

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बच्चों के दांतों में टेढ़े पन से बचाव :-

टेढ़े मेढ़े दांतों का इलाज वैसे तो कभी भी किया जा सकता है. लेकिन इसका ईलाज जितना जल्दी हो उतना हीअच्छा है क्यों कि कम उम्र में जब ड़ेमुलायम होते हैं. जिससे परिणाम जल्दीऔरअच्छे मिलते हैं.

बच्चों के दांतों में टेढ़े पण क्यों और सावधानियां :-

 1  अक्सर कुछ बच्चों कोअंगूठा चूसनेऔर होंठ काटने कीआदतहोती हैं।इन आदतों की वजह से दांत टेढ़े मेढ़े हो जाते है. जब भी बच्चा मुंह में अंगूठा डाले या दांतों में जीभ लगाए तो उसकी इस आदतों को नोटिस करें तथा इन आदतों से छुटकारा दिलाएं.

 2  यदि बच्चा सोते समय मुंह खोल कर साँस लेता है तो उसकी इस आदत की वजह से ऊपर वाले दांत बारे हो जाते हैं और बहार निकलने लगते है।ऐसे में माता पिता को ख्याल रखना चाहिए कि कहीं बच्चा मुंह खोल कर तो नहीं सोरहा है, और बच्चे इस आदत को दूर करने कि कोशिश करनी चाहिए.

 3  कुछ बच्चों के दूध के दांत टूटने के पहले ही पक्के दांत आने लग जाते हैं।जिसके कारण उनके दांत टेढ़े मेढ़े होजा ते हैं. ऐसे में बच्चों को डेंटिस्ट के पास लेजा कर उनके दूध के दांत को निकलवायें.

 4  कुछ लोगों का कहना है कि जब तक दूध के दांत पुरे नहीं गिर जातें तब तक किसी डेंटिस्ट के पास जा कर टेढ़े मेढ़े दांतों के बारे में बात करने से कोई फायदा नहीं है. यह बिलकुल गलत है आप नियमित रूप से हर 6 महीने बाद बच्चों को डेंटिस्ट के पास ले जा कर दांतो कि जाँच करवाते रहें।जिससे किय दिकुछ प्रॉब्लम हो तो साथ – साथ ठीक हो जाए.

NOTE:- यदि आप टेढ़े मेढ़े दांतों का ईलाज कराया है तो उसे ऐसे न छोड़ दे, बल्कि ईलाज खत्म होने के बाद भी कुछ समय तक डॉक्टर से सलाह लेते रहे.क्योंकि ईलाज के बाद भी दांत के सरकने तथा टेढ़े मेढ़े होने का संभावना बानी रहती है.

बच्चों के दांतों में संक्रमण क्यों:-

बच्चों में दांतों के संक्रमण कि सम्भावना ज्यादा होती है।दांतों में संक्रमण कि समस्या सिर्फ बड़ों में नहीं बल्कि छोटे बच्चों में भी हो सकती है. ये संक्रमण उस तरह न दिखे, जैसे बड़ों में दिखता है, परन्तु दांतों में दर्द, पानी पिने में तकलीफ, कैबिटीस, दाँतों में सड़न आदि दांतों में होने वाले संक्रमण का ही रूप है. दरअसल बच्चे मीठा खाना बहुत पसंद करते हैं. इनमें से बहुत सारी चीजें जैसे – टॉफी , बिस्किट , चुइंगम , आदि दांतो में चिपके रह जाने के कारण ये चीजें संक्रमण का कारण बनती है।आइये जानते हैं बच्चों के दांतों में संक्रमण के लक्षण और उसके उपचार.

बच्चों के दांतों में संक्रमण के लक्षण:-

  1. दांत में दर्द होना.
  2. खाते समय दांतों में दर्द होना या पानी पिने और मीठा खाने में तकलीफ होना.
  3. मुंह से बदबू आना तथा मुंह से करवाहट घुली रहना.
  4. दांतों का भूरा या काला हो जाना.
  5. भूख न लगना और वजन तेजी से कम होना तथा बुखार आना.

NOTE:- इन सभी लक्षण के आधार पर आप बच्चों के दांतों में संक्रमण कि समस्या को पहचाना जा सकता है. संकरण होने पर बच्चों को जल्दी किसी डेंटिस्ट को दिखाएं.

बच्चों के दांतों में संक्रमण से कैसे करें बचाव:-

  1. बच्चों को रोज सुबह – शाम ब्रश करने की आदत डालें.
  2. कुछ भी खाने के बाद बच्चों को कुल्ला करने का आदत डालें.
  3. बच्चों को मीठी चीजें ज्यादा न खाने से रोके.
  4. बच्चों को हर समय खाने कि आदत है, तो इसे छुड़वाएं.

NOTE:- कई बार दूधकर दांतों में कीड़ा लगने या कमजोर होने से इसका संक्रमण उसके नीचे उगने वाले परमानेंट दांत में भी पहुंचने की आशंकार हती है. इसलिए कीड़ा लगने की समस्या होने पर दंतरोग विशेषज्ञ से सलाह लेकर दांत मेंफिलिंग करवाएं.

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