अगर आप बारिश का मुसम में बहुत मस्ती करते है तो आपको कुछ बातों का धेयान रखना चाहिए क्यूंकि जाएदा तर बीमारियां इसी मौसम में होती है तो में आपको बताऊंगा की बारिश के मौसम में अपना ख्याल कैसे रखे (Take Care in Rainy Season) साथ ही इसमें होने वाले सभी चीजों के बारे में बताएंगे की Barish ke mosham me apna kheyal kaise rakhe तो ये आर्टिकल आप पूरा धेयान से पढ़ना।
मानसून का मौसम ज्यादातर लोगों को बहुत पसंद होता है। बारिश का मौसम शुरू होते ही गर्मी से तो जैसे राहत ही मिल जाती है। साथ ही बारिश की बुँदे हमे अलग ही सुकून क एहसास दिलाता है। बारिश के बूंदों के मौअज़ मस्ती के बीच अपनी स्वास्थय का विशेष ख्याल रखना चाहिए। क्योंकि मानसून के मौसम में ज्यादातर लोग अपनी स्वस्थ्य को लेकर लापरवाह हो जाते हैं। इस मौसम में तापमान में बदलाव और उमस के कारन बीमारियां फैलने वाले बैक्टीरिया और वायरस तेजी से पनपते हैं.

बारिश के मौसम में इन्फेक्शन, एलर्जी, सर्दी – जुकाम, डायरिया, फ्लू, वायरल जैसी हवा तथा पानी से होने वाली बीमारियां हमें घेर लेती हैं । बारिश के मौसम में अपने शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बनाये रखने के लिए हमें अपने खान – पान और साफ – सफाई का विशेष ख्याल रखनी चाहिए । जिससे बारिश के मौसम में होने वाले वायरस से संक्रमित होने वाली बिमारियों से लड़ने तथा हमारे शरीर स्वस्थ रख सके आइये जानते हैं बारिश के मौसम में होने वाली बिमारियों (take care of yourself during the rainy season) के बारे में.
बारिश के मौसम में अपना ख्याल कैसे रखे (How to Take Care of Yourself During The Rainy Season)
दोस्तों सबसे पहले हम सभी लोग ये जानते है की जब बारिश होती है तो उस समय कोनसी बीमारी हो सकती है क्यूंकि जब तक आप बीमारी के बारे में जानेंगे नहीं तब तक आप सतर्क नहीं रह सकते है इसीलिए जो में आपको बता रहा हूँ उसे आप धेयान से समझने का कोसिस कीजिये और में आपको बताना चाहता हूँ की देखो निचे कुछ Point दिया गया है उसे आप अच्छे से पढ़ने का कोसिस करें।
बारिश के मौसम में होने वाले बीमारियां (Diseases Occurring in Rainy Season)
इसमें आपको जितने भी पॉइंट्स को बताया गया है सभी बहुत इम्पोर्टेन्ट है हम सभी के लिए इसीलिए आप कोसिस करे सभी Points को अच्छे से पढ़ने के लिए ताकि आप अच्छे से जान सको तो आये जानते है सभी चीजों के बारे में पूरी जानकारी।
1 सामान्य बुखार तथा जुकाम:- बारिश के मौसम में अक्सर बारिश के बाद तापमान में अचानक परिवर्तन होने से वायरल बुखार और संक्रमण फैलने का खतरा होता हैं। ऐसे में मौसम में जुकाम – बुखार आम समस्या हैं। वैसे तो हर बदलते मौसम में हमें बुखार और जुकाम का सामना करना पड़ता हैं.
बदलते मौसम का हमारे शरीर पर बहुत असर होता हैं। अगर हमने खुद को बदलते मौसम से लड़ने के लिए पहले से तैयार रखा तो हमारे शरीर पर कोई असर नहीं पड़ता। परन्तु यदि हमारी थोड़ी सी भी लापरवाही सर्दी – जुकाम जैसी वायरल बुखार से जूझना पड़ता हैं.
बदलते मौसम में अगर हमने खुद को नहीं बचाया तो हमें सर्दी –जुकाम, खांसी, कोल्ड जैसी बीमारयों से संक्रमित हो सकते हैं। इन बिमारियों से ज्यादा समय तक संकरित.
रहने से बुखार आने लगता हैं। हमें इससे बचने के लिए खाश बातों के ध्यान रखना चाहिए। हमें बदलते मौसम के प्रति खुद को जागरूक तथा मौसम के अनुसार खान –पान पर विशेष ध्यान रखना चाहिए। जिससे हमारे शरीर को संक्रमित करने वाले रोगवाहक वायरस से लड़ने की क्षमता बनी रहे.
2 सर्दी’- जुकाम होने के कारण:- वैसे तो सर्दी – जुकाम होने के बहुत सारे कारण हो सकते हैं। परन्तु सर्दी जुकाम या मौसमी बुखार मौसम के बदलने के कारण ज्यादा होता हैं। पर कभी – कभी यह हमारी लापरवाहियों की वजह से होता हैं।
आइये जानते हैं सर्दी जुकाम जैसी वायरल बुखार से संक्रमित होने क कारण –
- वायरस तथा बैक्टीरिया से संक्रमित होने पर।
- दूषित भोजन करने से।
- शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता के कम हो जाना ।
- सर्दी से बचाओ न करना तथा ठंडी चीजों के सेवन ज्यादा करना ।
- बदलते मौसम में मौसम के अनुसार ख्याल न रखना ।
- एलर्जी हो जाना।
- रोजाना पानी पिने के फायदा
3 सर्दी – जुकाम के लक्षण :- सर्दी – जुकाम होने के अनेक लक्षण हो सकते है परन्तु यहाँ आपको सर्दी जुकाम होने के प्रमुख लक्षण को बताया जा रह है। जिससे आपको सर्दी – जुकाम को पहचानने में आसानी हो सकती है|
- सर्दी जुकाम होने के प्रमुख लक्षण निम्न है
- लगातार छींक आना।
- नाक बहने तथा बंद होने की समस्या होना
- बदन तथा सर में दर्द होना ।
- गले में खरास तथा दर्द रहना ।
- थकान महसूस होना ।
4 कैसे सर्दी जुकाम से बचे :- यदि आप सर्दी जुकाम से परेशान है तो यहाँ बताये गए टिप्स का प्रयोग करके सर्दी – जुकाम से राहत पा सकते .
5 ठंडी चीजों का सेवन करने से बचे:- सर्दी – जुकाम को रोकने लिए हमे ठंडी चीजों के सेवन करने से बचना चाहिए। तथा पानी पिने के लिए हल्के गुनगुने पानी तथा गर्म सूप का सेवन करना चाहिए। इससे सर्दी – जुकाम में जल्दी राहत मिलेगी ।
6 अदरक की चाय का सेवन करे:- अदरक की चाय ज्यादातर लोगो को बहुत पसंद होता है। तथा अदरक का चाय हमारे स्वास्थय के लिए बहुत लाभदायक होता है। सर्दी – जुकाम में अदरक चाय पीने से हमे जल्दी ठीक होने में मदद मिलती है ।
7 नमक का गरारा करे:- गले में दर्द तथा खराश होने तथा नाक बंद हो जाने पर गर्म पानी में नमक डाल कर गरारा करे। दिन में 3 – 4 बार करने से जल्दी ठीक होने में मदद मिलेगी।
8 गंदे स्थानों में जाने तथा संक्रमित होने से बचे :- गंदे स्थानों पर वायरस का खतरा ज्यादा होता है इसलिए सर्दी – जुकाम होने पर गंदे स्तनों पर जाने से बचना चाहिए । जुकाम से ग्रसित व्यक्ति के गंदे स्थान पर जाने से वायरस के संपर्क में आकर बुखार भी हो सकता है।
गंदे कपड़ो का भी इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। तथा जुकाम से ग्रसित व्यक्ति के प्रयोग में लिए कपड़ो तथा जुकाम से ग्रसित व्यक्ति के सम्पर्क में नहीं आना चाहिए।
9 खान – पान का रखे ख्याल:- जुकाम होने पर अपने खान पान का विशेष ख्याल रखें । हल्का आवर सुपाच्य भोजन करें साथ ही भोजन गर्म तथा ताजा हो । अपने भोजन में तरल पदार्थो की मात्रा बढ़ाये । जुकाम में खट्टे फलों जैसे नीबूं , संतरा और मौसमी जैसे खट्टे फलों का सेवन ज्यादा कर सकते हैं क्योंकि इन फलों में मौजूद विटामिन –सी सर्दी – जुकाम हैं बशर्ते कि इन्हे फ्रीज़ न रखा गया हो । जुकाम में आप हल्दी वाली दूध का भी पि सकते हैं इन सभी चीजों का सेवन करके आपको सर्दी – जुकाम को जल्दी ठीक कर सकते हैं।
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डायरिया बीमारी होने का खतरा (Risk of Diarrheal Disease)
बारिश के मौसम में डैरियन की आशंका सबसे ज्यादा होती है। बारिश की वजह से नदी – नाले उफान पर होती है। जगह – जगह जमी गन्दगी तैरने लगती है। बारिश के मौसम में अतिरिक्त सावधान न रहे तो पिने का पानी भी आसानी से प्रदूषित हो सकता है। इससे डायरिया इ विषाणु किसी को भी आसानी से संक्रमित कर सकते है। बारिश में भीगने तथा मिटटी में खेलने से भी आसानी से डायरिया के शिकार बन सकते है.
1 डायरिया के प्रकार :- डायरिया में मुख्यतः तीन प्रकार वायरस रोटा वायरस , नोरो वायरस तथा एडेनो वायरस जिम्मेदार होते हैं ।डायरिया वायरस के शरीर में प्रवेश से होता है । नोरो वायरस और रोटा वायरस पांच साल से कम उम्र के बच्चों को सबसे ज्यादा संक्रमित करते हैं। वयस्कों को भी ये वायरस अपना शिकार बना सकते है पर एनोडो वायरस किसी भी उम्र के व्यक्ति को डायरिया से संक्रमित कर सकता है । डायरिया दो प्रकार का होता है – एक्यूट और क्रोनिक डायरिया.
2 डायरिया सबसे ज्यादा किस्मेऔर क्यों :- पांच साल से कम उम्र के बच्चें डायरिया से ज्यादा ग्रसित हो जाते है। क्योंकि बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता वयस्कों की तुलना में अधिक सवेंदनशील होती है। बच्चों की साफ़ सफाई तथा खान – पान जरा सी लापरवाही डायरिया का कारण बन जाता है। बच्चों के बाद बुजुर्ग डायरिया की चपेट में ज्यादा आते है.
डायरिया के प्रमुख कारण (Main Causes of Diarrhea)
- डायरिया के प्रमुख कारण प्रदुसित खाना जैसे ख़राब या बसी खाना खाना ।
- प्रदुसित पानी पीने से ।
- वायरल संक्रमण ।
- आँतों में वायरल संक्रमण या किसी बीमारी की वजह से आंतो का कमजोर होना ।
- शरीर में पानी की कुमी या पाचन शक्ति का कमजोर होना ।
डायरिया के लक्षण (Symptoms of Diarrhea)
- डायरिया का मुख्य लक्षण बार बार दस्त लगना।
- आंतों में मरोड़ या पेट के निचले हिस्से में दर्द होना।
- बुखार तथा उलटी होना।
- डायरिया के जल्दी ठीक न होने पर डिहाइड्रेशन (निर्जलीकरण )की स्तिथि पैदा होना ।
- कमजोरी महसूस होना ।
डायरिया का उपचार (Treatment of Diarrhea)
- ओ आर ऐस का घोल , नीबूं पानी या एक गिलाश पानी में एक चुटकी नमक और थोड़ी सी शक्कर मिला कर बार बार पीना चाहिए इससे शरीर डिहाइडेशन का शिकार नहीं होगा । अर्थात शरीर में पानी की कमी नहीं होगी ।
- साफ़ – सुथरे फलों का रस पियें। बशर्ते जूस बाजार में बिकने वाला न हो । दूध तथा दूध से बनी चीजों का सेवन न करें
- डायरिया होने पर मिर्च – मसाले से बनी चीजों को खाने से परहेज करे।
- डायरिया होने पर उबले पानी को ठंडा करके पियें ।
- भूख लगने पर मूंग दाल की खिचड़ी या साबूदाना खाएं। भोजन बंद न करें बल्कि
- हल्का भोजन करें।
- केला तथा सेब खाएं ।
डॉक्टर के पास जाना जरूरी कब:- सामान्य घरेलू उपचार से डायरिया ठीक न हो ।तो तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए। यदि बहोत छोटे बच्चे को डायरिया हो तो उसे तुरंत डॉक्टर से दिखाना चाहिए.
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स्वाइन फ्लू बीमारी होने का खतरा (Risk of Swine Flu Disease)
स्वाइन H1N1 एक संक्रमण है। जो इंफ्लूएंजा ए वायरस के कारण फैलता है। यह वायरस सुअरो में पाया जाता है। स्वाइन फ़्लू का खतरा ठण्ड और बरसात के दिनों में ज्यादा होता है। क्योंकि ये वायरस के चलते तेजी से फैलते है.
1 स्वाइन फ्लू का खतरा किसे :- स्वाइन फ्लू खतरा सबसे ज्यादा खतरा छोटे बच्चों तथा बुजुर्गो में होता है। तथा कम रोग प्रतिरोधक क्षमता या पहले से बीमार व्यक्ति में आसानी से हो सकता है.
2 स्वाइन फ्लू के लक्षण :- सामान्य फ्लू तथा स्वाइन फ्लू के लक्षण एक जैसे होते हैं। जो निम्न है –
- नाक का लगातार बहना, छींक आना या नाक का जाम होना ।
- मांसपेशियों में दर्द तथा थकान महसूस होना ।
- दवा खाने के बाद बुखार का बढ़ना ।
- कफ और कोल्ड , लगातार खासी तथा गले में खराश होना ।
- सर दर्द होना ।
फ्लू का उपचार (Flu Treatment)
- फ्लू से ग्रसित मरीजों को खासते या छींकते समय मुंह पर टिसू का इस्तेमाल करना चाहिए। और उस तिसे को तुरंत डस्टबिन में फेक देना चाहिए।
- अपने हाथों को लगातार धोते रहे तथा दूसरी चीजों को छूने से बचे ।
- पानी तथा तरल पदार्थो का सेवन ज्यादा करें।
- डॉक्टर से परामर्श करके दवाइयां लें तथा उनकी दिए सलाह को माने।
Conclusion
दोस्तों मैंने आपको बहुत ही अच्छे तरीके से बताने का कोसिस किया हूँ की Barish ke mosham me apna Dheyan kaise rakhe ताकि आप बीमार न पढ़ो क्यूंकि बरसात के मौसम में बीमार पढ़ना बहुत दिकत होता है और हर तरीके से परेशानी का सामना करना पड़ता है तो आप इसे धेयान से पढ़ें होंगे।
तो मुझे उम्मीद है की आपको ये आर्टिकल बहुत ही प्यारा लगा होगा और आपको बहुत जाएदा हेल्प भी मिला होगा अगर आपके साथ ऐसा हुआ है तो आप अपने दोस्तों के साथ जरूर share कर देना ताकि सबको help मिल सके।