नमस्कार दोस्तों आज हम जानेंगे कि चंद्र ग्रहण क्या होता है (Lunar eclipse in Hindi) चन्द्र ग्रहण कैसे होता है (Chandra Grahan Kaise Hota Hai) और इसकी धार्मिक व वैज्ञानिक मान्यता क्या है? और भी बहुत कुछ की जानकारी देंगे ताकि आपको surya grahan kaise hota है इसके बारे में पूरी जानकारी मिल सके बस आप ये आर्टिकल पूरा पढ़ना।
दोस्तों आप सभी जानते हैं की अगर हम कभी भी कुछ अलग सा देखते है तो हमे उसके पीछे छुपे हुए कारन जानने में जिज्ञासा होती है। जैसे की बहुत सारी भोगोलोगिक घटना हमारी पृथ्वी पोर होती है जिनका कोई न कोई कारन तो ज़रूर होता है चाहे वो धार्मिक हो या वैज्ञानिक। चंद्र ग्रहण साल में बहुत बार होता है पर क्या आप जानते है इसके पीछे ऐसे कौन सी वजह है ? नहीं ना आपको सब कुछ मालूम चलेगा chandra grahan कैसे होता है।
चन्द्र ग्रहण कैसे होता है – Chandra Grahan Kaise Hota Hai
दोस्तों वैसे अगर हमलोग देखे तो जो कुछ भी होता है उसके पीछे कुछ न कुछ कारण होती है तो उसके पीछे क्या कारण है ये जानने के लिए हमारे वैज्ञानिक रिसर्च करते है तो हमलोग को मालूम चलता है किसी भी चीज का राज़ खेर हमलोग जानते है की वैज्ञानिक के हिसाब से चाँद ग्रहण कैसे होती है।
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विज्ञान का मानना
जभी भी पृथ्वी सूर्य और चांद के बीच में आता है तो पृथ्वी सूर्य की किरणों को चांद तक नहीं पहुंचा पाती और चांद हमें दिखाई नहीं देता है इसी अवस्था को हम चंद्रग्रहण कहते हैं चंद्र ग्रहण कई प्रकार के होते हैं पूरा चंद्रग्रहण अगर पृथ्वी सूर्य किरणों को पूरी तरह रोक लेती है तो उस अवस्था को हम पूरा चंद्रग्रहण कहते हैं।
इसका अर्थ यह है कि पृथ्वी पूर्ण रूप से सूर्य और चंद्रमा के बीच में आ जाती है और थोड़ी सी भी प्रकाश हमें नहीं दिखाई देती है और हमारे आसपास पूरा अंधकार छा जाता है। दूसरे तरीकों का चंद्रग्रहण ये होता है की आंशिक चंद्रग्रहण जब चांद का एक भी भाग छुप जाता है या आंशिक रूप में दिखाई देता है तो उसे हम आंशिक चंद्रग्रहण कहते हैं।
अंशिका का अर्थ ही होता है आधा या आधा से ज्यादा या आधा से कम रूप में अगर हमें चांद दिखाई दे तो वह आंशिक चंद्रग्रहण होता है. तो आज हम ओर डिटेल्स में जानेंगे कि चंद्रग्रहण क्या है उसके उत्तर क्या है। जब चंद्रमा और सूरज के बीच में आती है और पूर्ण रूप से या आंशिक रूप से धरती की छाया चंद्रमा पर पड़ती है.
सूर्य ग्रहण को जब हम अपनी नंगी आंखों से देखते हैं तो वह हमें बहुत हानि पहुंचाता है क्योंकि उसकी रेडिएशन हमारी आंखों को खराब कर सकते हैं।
Hindu Granth Ke Hisab Se Chandra Grahan Kaise Hota Hai
हमें कभी भी चंद्र ग्रहण के समय में सोना नहीं चाहिए अपने बालों को नहीं झारना चाहिए ब्रश नहीं करना चाहिए बाहर नहीं जाना चाहिए। चंद्र ग्रहण क्यों लगता है? तब तक हमारी धार्मिक कारणों ने चंद्रग्रहण को एक बहुत ही भयावह घटना दर्शाया है इसे भय और अंधविश्वासों के द्वारा दर्शाया जाता है पूर्ण रूप से चंद्र ग्रहण जब लगता है तो चंद्रमा के लाल हो जाने से कई सभ्यता सिहर उठती हैं.
जो लोग धार्मिक मान्यता का विरोध करते हैं वह मानते हैं कि जब भी ग्रहण लगता है तो वह एक भौगोलिक घटना है ना कि कोई भी देवी या देवी शक्तियों का कमजोर पड़ जाना आजकल के युग में हम समझ सकते हैं कि यह घटनाएं क्यों होती है और हमारे अंतरिक्ष में यह घटनाओं के क्या कारण है?
उसमें समय कोई भी शुभ काम नहीं करने चाहिए अगर हम कोई भी काम करते हैं जैसे खाना, सोना या बाहर जाना तो हम पर खराब प्रभाव पड़ता है और हमारी कुंडली में राहु केतु कि खराब स्थिति उत्पन्न होती है और इसे दूर करना बहुत ही कठिन है राहु केतु का प्रभाव से हमारी जिंदगी बहुत ही कठिन हो जाती है चंद्र ग्रहण नहीं देखना चाहिए ऐसा करने से हमारे जीवन पर खराब प्रभाव पड़ता है।
पौराणिक कथाओं की मानें तो हिंदू धर्म में चंद्र ग्रहण लगने के पीछे दो शत्रु ग्रह राहु और केतु का हाथ होता है एक कथा के अनुसार जब समुंद्र मंथन हो रहा था तब देवताओं और राक्षसों के बीच में अमृत पान को लेकर बहुत विशाल युद्ध चल रहा था तभी देवताओं ने राक्षसों के साथ छल किया और अमृत का पान किया यह चल भगवान विष्णु ने किया था।
वह एक मोहिनी रूप लेकर एक सुंदर कन्या के रूप धारण किया और सब को राजी किया कि अमृत हर किसी को बराबर बटेगा राक्षस और देवताओं अलग-अलग बैठ गए और मोहिनी स्वरूप विष्णु जी ने देवताओं को अमृत बांटना शुरू कर दिया राहु नामक असुर जिसने सोचा कि अगर वह देवताओं के बीच में बैठेगा तो उसे भी अमृत का भाग मिलेगा वह देवताओं के साथ बैठा था और उसने भी अमृत चक लिया।
क्योंकि उसने अमृतसर लिया था तो वह हमेशा के लिए अमर हो गया था ऐसा करते हुए सूर्य देव और चंद्र देव ने उसे पकड़ लिया और उन्हें इस चीज के मानक हो गई कि देवताओं के बीच किसी राक्षस ने अमृ पैन कर लिया है तभी जाकर उन दोनों ने विष्णु जी को यह बात बताई और विष्णु जी सुदर्शन चक्र से राहु के धार को अलग कर दिया उसी घटना के बाद से राहु और केतु का जन्म हुआ।
असुर का सर राहु के नाम से जाना गया और उसका धड़ केतू का नाम से जाना गया वह दोनों सूर्य देव और चंद्र देव के कट्टर दुश्मन थे इसीलिए वह हमेशा उनके पद पर आकर उन दोनों पर ग्रहण लगाते हैं इसीलिए मानते हैं राहु और केतु दोनों ही असुर थे.
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Latest Chandra Grahan
दोस्तों अब आपको चंद्र ग्रहण के बारे में सब कुछ पता चल गया होगा तो आपको यह भी बता दें कि इस साल 30 नवंबर 2020 को साल का आखिरी चंद्र ग्रहण लगने वाला है जोकि उपचय ग्रहण होगा जिसे हम आँख से नहीं देख सकते हैं साल का आखिरी ग्रहण सूर्य ग्रहण होगा जो कि 14 दिसंबर 2020 को पड़ेगा यह जो चंद्र ग्रहण लग रहा है वह ऋषभ राशि रोहिणी नक्षत्र में पड़ेगा।
जिससे इसका प्रभाव इस सभी राशियों की व्यक्ति के जीवन में पड़ेगा इस ग्रहण में माना जा रहा है कि व्यक्ति के जीवन में जब चंद्र का असर हो तो विभिन्न परेशानियों से गुजर सकता है जबकि यह भी कहा गया है कि आपको इससे डरने की जरूरत नहीं है।
चंद्र ग्रहण की तिथि और समय 30 नवंबर 2020 की दोपहर 1:04 बजे है ग्रहण का मध्यकाल 30 नवंबर 2020 की दोपहर 3:13 से है और ग्रहण समाप्त शाम 5:22 बजे 30 नवंबर को हो रहा है।
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Conclusion
तो दोस्तों मैंने आपको बताया है की चंद्र ग्रहण क्या होता है (Chandra Grahan in Hindi) चन्द्र ग्रहण कैसे होता है (Chandra Grahan Kaise Hota Hai) दोस्तों अगर आपको हमारी आर्टिकल पसंद आई होगी और आपको पर्याप्त जानकारी मिल गई होगी तो हमारे आर्टिकल को जरूर अपने दोस्तों और परिवार में शेयर करिएगा कि उन्हें भी चंद्र ग्रहण की पौराणिक कथा कौन-कौन एवं वैज्ञानिक कारणों के बारे में ज्ञान हो अगर आपको कुछ भी डाउट है तो आप हमसे कमेंट में जरूर पूछ सकते हैं।