दोस्तों आज की इस आर्टिकल में हम आपको लालबहादुर शास्त्री पर निबंध सरल भाषा में – Essay on Lal Bahadur Shastri in Hindi के बारे में बताएंगे यानी की Lal Bahadur Shastri par Nibandh kaise Likhe इसके बारे में पूरी जानकारी देंगे यानी की आपको Lal Bahadur Shastri par 1500 words का essay मिलेगा इसलिए ये आर्टिकल पूरा धेयान से पूरा पढ़ना है। ताकि आपके लिए हेलफुल साबित हो।
लाल बहादुर शास्त्री हमारे देश के सबसे ईमानदार और सबसे साहसी नेताओं में से एक है यह हमारे देश के दूसरे प्रधानमंत्री बने। लाल बहादुर शास्त्री अपने समय में इनकी आर्थिक और सशस्त्र शक्ति को बहुत तेजी से बढ़ाया यह वह वक्त था जब नए भारत के लिए नीव रखी जा रही थी और इस वक्त लाल बहादुर शास्त्री ने देश को एक बेहतरीन नेतृत्व दिया।
लाल बहादुर शास्त्री स्वतंत्रता की लड़ाई में सबसे आगे रहे। गांधी जी के साथ मिलकर उन्होंने स्वाधीनता की लड़ाई के लिए कठिन परिश्रम किया उन्होंने देश में हर एक लोगों के लिए कार्य किया जब हमारा देश आजाद हुआ तब देश की सबसे बड़ी चुनौती थी संविधान को अच्छे से बनाना और संविधान में बहुत ही अहम भूमिका निभाई लाल बहादुर शास्त्री ने उन्होंने देश के लोगों को समान अधिकार दिलाने में और मौलिक अधिकार प्राप्त करने में अहम भूमिका निभाई।
Essay on Lal Bahadur Sastri in Hindi – लालबहादुर शास्त्री पर निबन्ध
Lal Bahadur Shastri जी के कार्यकाल के दौरान बस ऐसी घटनाएं हुई जो कि देश की एकता के लिए अच्छी नहीं थी एक प्रचलित घटना है जब देश में हिंदी को राष्ट्रीय भाषा का दर्जा दिया था तब गैर हिंदी भाषी राज्यों में बहुत ही ज्यादा विरोध होने लगा मद्रास में इस विरोध में छात्र और प्रोफेसर सामने आ गए प्रिया विरोधी दंगों का रूप ले लिया पर लाल बहादुर शास्त्री ने प्रस्तुति को बहुत अच्छे से संभाला
उन्होंने गैर हिंदी भाषी लोगों को आश्वासन दिया कि उनके राज्यों में अंग्रेजी को ही आधिकारिक भाषा को मान्यता दिया जाएगा। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान हमारे देश में जाति के द्वारा भेदभाव बहुत हुआ करता था इस भेदभाव को कम करने के लिए लाल बहादुर शास्त्री ने कठिन प्रयास किया उन्होंने अपने नाम से श्रीवास्तव इस नाम को हटा दिया क्योंकि उस वक्त श्रीवास्तव का मतलब होता था ऊंची जाति के हैं।
उन्हें नीची जाति के लोगों के साथ उठना बैठना नहीं चाहिए लाल बहादुर शास्त्री ने इस भेदभाव को कम करने के लिए अपने नाम से श्रीवास्तव को हटा दिया।
लाल बहादुर शास्त्री हरिजन और दलितों के कल्याण के लिए हमेशा आगे रहे और उन्होंने स्वतंत्रता के बाद भी देश में भेदभाव की प्रथा को हटाने के लिए कठिन प्रयास किया उन्होंने दलित और हरिजनों को एक बराबर अधिकार के लिए हमेशा लोगों को प्रेरित किया है।
लाल बहादुर शास्त्री एक सच्चे देशभक्त हैं उनका जीवन बहुत ही सादा था और वह बहुत ही इमानदार राजनेता में से एक है उन्होंने देश के कर्तव्य को सर्वोच्च परी माना और हमेशा देश के कार्य पर लगे रहे उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी देश के लिए लगा दी उन्होंने अपना जवानी देश के आजादी के आंदोलनों में लगा दी और आजादी के बाद देश के विकास में उन्होंने अपने आप को समर्पित कर दिया।
लाल बहादुर शास्त्री के कार्यकाल के दौरान पाकिस्तान के साथ युद्ध लड़ा गया और इस युद्ध में सैनिकों का मनोबल बढ़ाने और देश को विजय दिलाने में लाल बहादुर शास्त्री का बहुत ही बड़ा हाथ है उन्होंने हर एक कठिन परिस्थिति में देश को संभाला है और देश की जनता को भी संभाला है।
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लाल बहादुर शास्त्री की जीवनी (Biography of Lal Bahadur Shastri in Hindi)
लाल बहादुर शास्त्री का जन्म 2 अक्टूबर 1904 में उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में हुआ था। लाल बहादुर शास्त्री एक जमींदार परिवार से ताल्लुक रखते थे उनके पिता का नाम शरद उषा श्रीवास्तव था जो कि एक स्कूल में शिक्षक थे बाद में उन्होंने शिक्षक की नौकरी छोड़कर राजस्व विभाग में कलर की नौकरी कर ली थी
लाल बहादुर शास्त्री जी की माता का नाम राम दुलारी था लाल बहादुर शास्त्री अपने घर में सबसे छोटे थे इसके कारण उन्हें अपने घर में बहुत अधिक प्यार मिलता था। लाल बहादुर शास्त्री का लालन-पालन उनके मामा घर में हुआ था क्योंकि 18 वर्ष की उम्र में ही लाल बहादुर शास्त्री ने अपने पिता जी का साया अपने सर से खो दिया था।
उसके बाद से उनकी माता लाल बहादुर शास्त्री को लेकर उनके नाना के यहां चली गई। लाल बहादुर शास्त्री के पालन में उनके मौसा जी ने बहुत ही सहयोग किया लाल बहादुर शास्त्री के प्राथमिक शिक्षा विजापुर से हुई।
लाल बहादुर उसके बाद हरिश्चंद्र हाई स्कूल में अपने उच्च शिक्षा के लिए गए उसके बाद उन्होंने काशी विद्यापीठ में दाखिला लिया।
उस वक्त जाति का भेदभाव बहुत अधिक हो रहा था जिस कारण से लाल बहादुर शास्त्री ने अपने उपनाम को हटा दिया और विश्वविद्यालयों ने शास्त्री की उपाधि मिली और आज भी उन्हीं लोग शास्त्री जी के नाम से याद करते हैं। उनका मानना था कि लोग उपनाम के वजह से ही जाति का भेदभाव करते हैं इसलिए उन्होंने अपने नाम से उपनाम को हटा दिया।
1928 में लाल बहादुर शास्त्री का विवाह ललिता से हुआ और लाल बहादुर शास्त्री के छह संताने थी उनके दो पुत्री और चार बेटे हैं।
Lal Bahadur Shastri ने संस्कृत से स्नातक की डिग्री की समाधि की डिग्री पूरी होने के बाद वह भारत सेवा संघ से जुड़ गया और वहां से उन्होंने देश सेवा का व्रत लिया उसके बाद उन्होंने वह इस व्रत को पूरे जीवन भर निभाया और यही तो उनका राजनीतिक जीवन भी शुरू हुआ।
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लाल बहादुर शास्त्री जी गांधी जी से बहुत ही प्रेरित थे। गांधी जी उनके आदर्श थे उन्होंने अपनी जिंदगी गांधीजी के आदर्शों पर जिया है लाल बहादुर शास्त्री स्वतंत्रता संग्राम में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया जिस कारण से उन्हें देश के लिए कई बार जेल भी जाना पड़ा।
Lal Bahadur Shastri ने 1921 का असहयोग आंदोलन 1930 का दांडी मार्च तथा 1942 का भारत छोड़ो आंदोलन में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इन आंदोलनों से देशवासियों ने लाल बहादुर शास्त्री को पहचाना।
जब अंग्रेजों को दूसरे विश्व युद्ध में उलझता देख गांधीजी ने भारत छोड़ो आंदोलन 8 अगस्त को शुरू किया 9 अगस्त को शास्त्री जी ने इलाहाबाद में आंदोलन को एक प्रमुख क्रांतिकारी आंदोलन का रूप दे दिया यहां पर उन्होंने लोगों को एकजुट किया और आंदोलन को बढ़ाएं 10 दिनों तक उन्होंने भूमिगत रहते हुए इस आंदोलन को नेतृत्व किया और 19 अगस्त 1942 में अंग्रेजों ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया।
15 अगस्त 1947 के बाद उन्हें देश के मंत्रिमंडल में अहम भूमिका निभाई उन्होंने कानून मंत्री के रूप में भी काम किया रेल मंत्री के रूप में भी काम किया और अपने हर एक कार्य को अच्छे से पूरा किया। पंडित जवाहरलाल नेहरू के बाद आजाद भारत के दूसरे प्रधानमंत्री बने लाल बहादुर शास्त्री।
शास्त्री जी ने अपने कार्यकाल के दौरान देश में आर्थिक तथा शिक्षा के विकास में महत्वपूर्ण कार्य किया। लाल बहादुर शास्त्री ने देश में हरित क्रांति और श्वेत क्रांति को प्रोत्साहन दिया उन्होंने दूध से बने हुए उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए बहुत सारी योजनाएं लाएं तथा देश में हरित क्रांति को बढ़ावा देने के लिए भी बहुत सारी योजनाएं लाई।
लाल बहादुर शास्त्री जी का एक नारा है “जय जवान जय किसान” जो कि बहुत ही प्रसिद्ध है उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान सैनिक ताकत को बढ़ाया।
शास्त्री जी के कार्यकाल के दौरान ही 1965 में भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध हुआ। और इस वक्त उन्होंने देश को बखूबी संभाला और इस युद्ध में भारत की विजय हुई।
किसी भी देश के लिए विदेश नीतियां बहुत ही जरूरी होती है क्योंकि इससे उनको अंतर्राष्ट्रीय बाजार प्राप्त होता है और लाल बहादुर शास्त्री इस चीज को बखूबी जानते थे उन्होंने विदेशी नीतियों में बहुत अधिक कार्य किया और हमारे देश के विदेशी रिश्तो को बहुत ही मजबूत किया।
शास्त्री जी ने देश के सैन्य बजट को बढ़ाने का फैसला किया और इसके तहत उन्होंने श्रीलंका के प्रधानमंत्री के साथ मिलकर एक एग्रीमेंट किया इसको shrima-shastri pact के नाम से जानते हैं।
शास्त्री जी का निधन 11 जनवरी 1966 में ताशकंद में हुआ जब वह इंडिया-पाकिस्तान के शांति संधि में हस्ताक्षर करने के लिए ताशकंद गए हुए। ताशकंद तब सोवियत संघ का हिस्सा था और सोवियत संघ ने भारत और पाकिस्तान के बीच शांति संधि की मध्यस्थता की थी और इसी संधि के लिए वे शासन गए हुए थे।
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बहुत से लोगों का मानना है कि वहां पर उन्हें दिल का दौरा पड़ने से उनकी मृत्यु हो गई पर उनके घर वालों ने स्थित इंकार कर दिया था और आज भी यह हमारे देश ने सुलझा नहीं पाया है आज भी हम शास्त्री जी की मृत्यु का असली वजह नहीं जानते हैं।
कहा जाता है कि शास्त्री जी की मृत्यु के बाद उनका पोस्टमार्टम भी नहीं किया गया था और ऐसी बहुत सी बातें होती हैं जिससे कि शास्त्री जी की मौत की theory पर संदेह होता है उनका दिल का दौरा पड़ने से निधन हुआ था शास्त्री जी के अचानक चले जाने से देश की राजनीति में बहुत ही हलचल पैदा हो गए और देश ने एक महान सुपुत्र को खो दिया।
हमें Lal Bahadur Shastri जी से बहुत कुछ सीखना चाहिए शास्त्री जी इतने बड़े पद में रहते हुए भी अपना पूरा जीवन सादगी में बिताया हमें अपने जीवन को भी अच्छे से बिताना चाहिए तथा अपने कार्य को इमानदारी पूर्वक करना चाहिए और लोगों की मदद हमेशा करते रहनी चाहिए।
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तो दोस्तो मुझे उम्मीद है की आपको ये आर्टिकल पढ़ कर अच्छा लगा होगा की लालबहादुर शास्त्री पर निबंध सरल भाषा में कैसे लिखे (Essay on Lal Bahadur Shastri in Hindi) पूरी निबंध लिखे है तो आपको जरूर हेल्प हुआ होगा अगर अच्छा लगा होगा तो अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करे।