दोस्तों आज की इस आर्टिकल में हम आपको रविन्द्रनाथ टैगोर पर निबंध सरल भाषा में – Essay on Rabindranath Tagore in Hindi के बारे में बताएंगे यानी की Rabindranath Tagore par Nibandh kaise Likhe इसके बारे में पूरी जानकारी देंगे यानी की आपको Rabindranath Tagore par 1200 words का essay मिलेगा इसलिए ये आर्टिकल पूरा धेयान से पूरा पढ़ना है। आपके लिए हेलफुल साबित होगी।
रविंद्र नाथ टैगोर हमारे देश के महान साहित्यकार में से एक थे। रविंद्र नाथ टैगोर ने हमारे देश के साहित्य को पश्चिमी देशों में से लाया और उन्होंने हमारे साहित्य का प्रचार प्रसार किया रविंद्र नाथ टैगोर साहित्य के साथ बहुत ही बड़े दर्शनशास्त्र भी थे रविंद्र नाथ टैगोर ने अपने साहित्य के साथ मिलकर देश की आजादी में बहुत ही अहम भूमिका निभाई।
उन्होंने अपने साहित्य और अपने कविताओं के जरिए लोगों के अंदर राष्ट्रीयता की भावना को जागृत किया और लोगों को एक किया उन्होंने देश के आजादी के लिए बहुत ही अभूतपूर्व कार्य किए। रविंद्र नाथ टैगोर अपने जमाने के सबसे बड़े साहित्यकार में से एक थे उन्होंने हमारे देश के संस्कृति साहित्य और फिलॉसफी को एक नई पहचान दी।
Essay on Rabindranath Tagore in Hindi – रविन्द्रनाथ टैगोर पर निबन्ध सरल भाषा में
Rabindranath Tagore ने समाज कल्याण कार्य को भी बहुत ही अच्छे से किया उन्होंने देश के हर एक वर्ग के बारे में अपने साहित्य में लिखा उन्होंने देश के समस्याओं को साहित्य और कविताओं के जरिए लोगों के सामने व्यक्त किया और अपने साहित्य और कविताओं और कहानियों के जरिए उन्होंने भारत के आजादी में बहुत ही अहम भूमिका निभाई।
हमारा राष्ट्रगान भी रविंद्र नाथ टैगोर ने ही लिखा था। यह गीत उन्होंने हमारे देश के लोगों के अंदर एकता को जागृत करने के लिए लिखा था और लोगों को एक बनाने के लिए इस गीत को लिखा गया था इसी गीत के जरिए लोगों को अंग्रेजो के खिलाफ लड़ने में बहुत ही ताकत मिलती थी आज जब भी हम राष्ट्रगान गाते हैं। हमारे अंदर एक इसके प्रति कुछ करने की इच्छा जागती है।
Rabindranath Tagore की कविताएं ऐसे ही थी उन्होंने अपने कविताओं के जरिए देश के लोगों को एक किया और अपने कविता के जरिये ही ब्रिटिश शासन के खिलाफ लड़ा उन्होंने देश की राजनीति में भी बहुत ही अहम भूमिका निभाई रवींद्रनाथ टैगोर पहले भारतीय थे जिन्होंने साहित्य में नोबेल पुरस्कार प्राप्त हुआ था।
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रविंद्र नाथ टैगोर की जीवनी (Biography of Ravindra Nath Tagore in Hindi)
रविंद्र नाथ टैगोर का जन्म 7 मई 1861 में कोलकाता में हुआ था। रविंद्र नाथ टैगोर का जन्म एक धनी परिवार में हुआ था उनके पिता का नाम रविंद्र नाथ टैगोर और माताजी का नाम शारदा देवी था रविंद्र नाथ टैगोर की माता का निधन तब हुआ जब रविंद्र नाथ टैगोर 14 वर्ष की आयु के थे।
उनका लालन-पालन अधिकतर उनके घर के नौकरों द्वारा हुआ क्योंकि उनके पिता काम के सिलसिले से हमेशा बाहर ही रहते थे Rabindranath Tagore पढ़ाई में पहले ही बहुत ही अच्छे थे। बचपन से रविंद्र नाथ टैगोर की रूचि साहित्य कविताएं थी उन्होंने अपने पहले कविता 8 वर्ष की आयु में लिखी थी। रविंद्र नाथ टैगोर के प्राथमिक शिक्षा उनके घर में ही हुई।
रविंद्र नाथ टैगोर के प्राथमिक शिक्षा के बाद 1878 में इंग्लैंड चले गए क्योंकि उनके पिताजी चाहते थे कि उनका बेटा एक बैरिस्टर बने और इसीलिए Rabindranath Tagore का दाखिला इंग्लैंड के ब्रिजस्टोन के लंदन विश्वविद्यालय के कॉलेज में हुआ जहां उन्होंने अपनी बैरिस्टर की पढ़ाई की। लेकिन रविंद्र नाथ टैगोर की रूचि साहित्य में थी और वह इस समय बहुत अच्छा करना चाहते थे।
इसलिए वे कानून की पढ़ाई छोड़कर 1880 में देश वापस आए। रविंद्र नाथ टैगोर का परिवार एक बांग्ला साहित्य का प्रचार प्रसार करने वाला परिवार था जिसके कारण से उनके घरों में आए दिन बंगला और सांस्कृतिक पाठ कथाएं होती रहती थी रविंद्र नाथ टैगोर को साहित्य के साथ-साथ संगीत और दर्शनशास्त्र में भी बहुत ही रुचि थी।
भारत लौटने के 3 वर्ष बाद 1883 में रविंद्र नाथ टैगोर का विवाह मृणालिनी देवी के साथ हुआ। रविंद्र नाथ टैगोर एक बहुत ही बड़ी चित्रकार भी थे उनके अंदर हर एक हुनर कूट-कूट के भरा हुआ था।
उनके सबसे पसंदीदा विषय में थी चित्रकारी शरीर विज्ञान भूगोल और इतिहास साहित्य गणित संस्कृत अंग्रेजी इन सारे विषयों उन्होंने बहुत ही रुचि के साथ पड़ा और उन्होंने अपने अच्छे योगदान इन सारे विषय में दिया आज भारत की संस्कृति सभ्यता और साहित्य को नई पहचान दिलाने में रवीना टैगोर ने बहुत ही कठिन कार्य किए।
संभवत कालिदास के बाद रविंद्र नाथ टैगोर हमारे देश के सबसे बड़े और सबसे प्रसिद्ध साहित्यकार में से एक हुए। सिर्फ साहित्य में ही नहीं उन्होंने देश की राजनीति और देश के लोगों के लिए भी बहुत कार्य किया उन्होंने अपने साहित्य और कवि और कहानियों के जरिए देशवासियों को आजादी का पाठ पढ़ाया उनके अंदर आत्मविश्वास जगाया।
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रविंद्र नाथ टैगोर फरवरी 1873 में अपने पिता के साथ 11 वर्ष की आयु में ही भारत दौरे पर निकले उन्होंने कोलकाता में अपने सांतिनिकेतन संपत्ति को छोड़कर अमृतसर हिमालय पर्वतीय स्थल जैसे और कई जगहों पर घूमे लेकिन वहां पर उन्होंने वहां की संस्कृति और सभ्यता को समझा इस भ्रमण के दौरान ही उन्होंने जीवनी इतिहास भूगोल विज्ञान अध्ययन विज्ञान और संस्कृत का अध्ययन किया।
रविंद्र नाथ टैगोर अमृतसर में जब थे तब उन्हें गुरुद्वारे में सुप्रभात गुरबाणी से बहुत प्रभावित हुए और वे हर दिन उसे सुनने के लिए स्वर्ण मंदिर जाया करते थे। Rabindranath Tagore ने अपनी पहली लघुकथा सिर्फ 16 वर्ष की आयु में 1877 में प्रकाशित की।
रविंद्र नाथ टैगोर साहित्य के सबसे बड़े गुरु थे इसीलिए पूरा देश में गुरुदेव कह कर भी पुकारते है और विश्व भी उन्हें गुरुदेव के नाम से जानता है। रविंद्र नाथ टैगोर भारतीय साहित्य के अलावा विदेश और साहित्य को भी अच्छे से पढ़ा और उनकी सारी जानकारी अपने अंदर समाहित किया।
उन्होंने भारतीय साहित्य को एक नए आयाम तक पहुंचाया रवीना टैगोर ने अपने जीवन काल में कई उपन्यास निबंध लघुकथाएं यात्रावृतांत नाटक और हजारों गाने लिखे हैं उन्होंने अपने अधिकतर प्रभाव अपने पद और कविताओं के जरिए ही लोगों पर छोड़ा है। रविंद्र नाथ टैगोर को उनके छोटे गद्य के लिए भी बहुत ही याद किया जाता है।
उनके छोटे गद्य बहुत ही लोकप्रिय हैं उन्होंने इन छोटे कहानियों के जरिए बहुत ही महत्वपूर्ण शिक्षा लोगों तक पहुंचाई और बहुत ही अमूल्य छाप इस समाज में और भारतीय साहित्य में छोड़ा है।
रविंद्र नाथ टैगोर द्वारा लिखी गई कुछ प्रमुख रचना है जैसे कि गीतांजलि, पूरबी प्रवाहिनी, शिशु भोलानाथ, महुआ, वनवाणी, परिशेष, पुनश्च, वीथिका शेषलेखा, चोखेरबाली, कणिका, नैवेद्य मायेर खेला और क्षणिका आदि बहुत ही प्रसिद्ध है।
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रविंद्र नाथ टैगोर पहले भारतीय हैं जिन्हें साहित्य में नोबेल पुरस्कार मिला उन्हें अपनी रचना गीतांजलि के कारण साहित्य में 1913 में नोबेल पुरस्कार दिया गया सन 1915 में उन्हें राजा जॉर्ज पंचम ने नाइटहुड की पदवी दी।
रविंद्र नाथ टैगोर एक सच्चे देशभक्त है उन्होंने अपनी नाइटहुड की पदवी जलियांवाला बाग हत्याकांड के बाद वापस कर दी उन्होंने अपनी कविता और अपनी रचनाओं के द्वारा देशवासियों और देश की समस्याओं को प्रकट किया और देश की चेतना को जगाया वह हमेशा देशवासियों के लिए खड़े रहते थे।
रविंद्र नाथ टैगोर ने देश में साहित्य को बढ़ावा देने के लिए और शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए शांतिनिकेतन में आश्रम की नींव रखी आज वही आश्रम विश्वविख्यात शांतिनिकेतन विश्वविद्यालय के रूप में जाना जाता है शांतिनिकेतन विश्वविद्यालय में आज सभी प्रकार की शिक्षाएं दी जाती है।
आज हमारे देश के बच्चों का सपना होता है कि वह शांतिनिकेतन विश्वविद्यालय में दाखिला ले पाय और वहां से पढ़ाई कर सके उनके शांतिनिकेतन विश्वविद्यालय में एक उच्चस्तरीय पढ़ाई कराई जाती है और हर एक विषय की पढ़ाई वहां से कराई जाती है शांतिनिकेतन विश्वविद्यालय में दाखिला लेने के लिए प्रवेश परीक्षा भी आयोजित होती है।
Death:
Rabindranath Tagore आजादी से 6 वर्ष पूर्व 7 अगस्त 1941 में हम सभी को छोड़ कर चले गए उनके निधन के कारण हमारे देश के साहित्य और देश के लोगों को बहुत ही क्षति हुई। रविंद्र नाथ टैगोर टैगोर एक महान पुरुष थे उन्होंने देश को और देश के साहित्य को और देश के लोगों को एक नई पहचान दिलाई।
आज भी लोग Rabindranath Tagore कौन थे रचनाओं के द्वारा याद करते हैं और उनको श्रद्धांजलि देते हैं। आज हमारा साहित्य इतना संपूर्ण है। उन्होंने पूरे विश्व को भारत संस्कृति से मिलाया और भारतीय संस्कृति को पूरे विश्व को बताया।
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मुझे उम्मीद है की रबीन्द्रनाथ टैगोर पर निबंध सरल भाषा में – Essay on Rabindranath Tagore in Hindi के बारे में बताया यानी की Rabindranath Tagore par Nibandh kaise Likhe इसकी पूरी जानकारी दिया तो अगर आपको ये आर्टिकल अच्छा लगा हो तो अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर।