Essay on Mother Teresa in Hindi – मदर टेरेसा पर निबन्ध सरल भाषा में

दोस्तों आज की इस आर्टिकल में हम आपको मदर टेरेसा पर निबंध सरल भाषा में – Essay on Mother Teresa in Hindi के बारे में बताएंगे यानी की Mother Teresa par Nibandh kaise Likhe इसके बारे में पूरी जानकारी देंगे यानी की आपको Mother Teresa par 1200 words का essay मिलेगा इसलिए ये आर्टिकल पूरा धेयान से पूरा पढ़ना है। आपके लिए हेलफुल साबित होगी।

मदर टेरेसा इंसान के रूप में ईश्वर थी उन्होंने पूरे समाज को इंसानियत का पाठ पढ़ाया उन्होंने सारे लोगों को इंसानियत धर्म के बारे में बताया वह सारे धर्म से बढ़कर इंसानियत धर्म को अपनाया और लोगों को इंसानियत धर्म के बारे में बताया। मदर टेरेसा ने अपनी पूरी जीवन को मानव कल्याण के लिए समर्पित कर दिया था।

अपनी छोटी सी उम्र में ही उन्होंने लोगों के दुख दर्द को समझ कर उनका निवारण करने के लिए जुट गए जब भी मदर टेरेसा का नाम आता है तब हमें मां की भावना आती है क्योंकि वह हर जरूरतमंद की मां थी उन्होंने भारत में आकर भारत की हर एक वर्ग की मदद की। मदर टेरेसा विश्व के हर एक इंसान की मां थी।

Essay on Mother Teresa in Hindi

उन्होंने जरूरतमंद और कष्ट में रह रहे लोगों की हमेशा मदद की वह अपनी पूरी जिंदगी लोगों की समस्याओं का निवारण और लोगों के भलाई के लिए लगा दी उनके लिए सबसे बड़ा धर्म मानवता का धर्म ही था उन्होंने विश्व को प्यार करना और लोगों को मानवता का धर्म का पाठ पढ़ाया उन्होंने लोगों को एक दूसरे की मदद करने के लिए प्रेरित किया।

Essay on Mother Teresa in Hindi – मदर टेरेसा पर निबन्ध सरल भाषा में

Mother Teresa भारत में आकर पूरे भारत को अपनाया और यहां के लोगों की समस्याओं को अपना समस्या मानकर उनका निवारण करने में जुट गए अपनी पूरी जिंदगी हमारे देश के लोगों की सेवा में लगा दी। मदर टेरेसा का जन्म भारत में नहीं हुआ पर उन्होंने भारत को बहुत कुछ दिया और आज भारत के लोगों ने अपनी मां की तरह पूजते हैं।

भारत में मदर टेरेसा ने बीसवीं शताब्दी के समय बहुत ही कार्य किए उन्होंने भारत के हर एक वर्ग की मदद की। मदर टेरेसा ने दुनिया को एक नए तरीके से जीने का तरीका बताया उन्होंने लोगों के नजरिए को बदला और उन्होंने मानवता धर्म को सर्वोपरि धर्म बनाया।

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मदर टेरेसा की जीवनी (Biography of Mother Teresa in Hindi)

मदर टेरेसा का का जन्म 26 अगस्त 1910 में मेसिडोनिया में हुआ था तब यह साम्राज्य उस्मान साम्राज्य के अधीन था। उनका वास्तविक नाम ‘अगनेस गोंझा बोयाजिजू’ था। मदर टेरेसा का पिता का नाम  निकोला बोयाजू था वह एक व्यवसाई थे। मदर टेरेसा अपने पांचों भाई बहनों में सबसे छोटी बहन थी और उनके नाम का अर्थ था फूल की कली।

Mother Teresa एक ऐसे फूल की कली थी जिन्होंने पूरे विश्व को महकाया था उन्होंने पूरे विश्व को मानवता धर्म के बारे में पढ़ाया था और आज यह फूल पूरे विश्व को मानवता का पाठ पढ़ाती है। मदर टेरेसा की माता का नाम द्राना बोयाजू था। मदर टेरेसा जब 8 साल की थी तभी उनके पिता का निधन हो गया था और उनकी माता के ऊपर सारे बच्चों की जिम्मेदारी आ गई थी।

वह अपने पांच भाई बहनों में सबसे छोटी थी। मदर टेरेसा बचपन से ही बहुत ही मेहनती और अध्ययनसील बच्ची थी उन्होंने अपने जीवन भर परिश्रम किया और लोगों की मदद की। यह ठान लिया था कि वह मानव सेवा में अपना पूरा जीवन देगी इसके लिए वे आईलैंड गए और वहां अंग्रेजी भाषा सीखें क्योंकि तब अंग्रेजी भाषा सीखने के बाद ही भारत में आकर आप पढ़ा सकते थे।

 भारत आगमन 

Mother Teresa आईलैंड से 26 जनवरी 1929 को भारत आई यहां वे लोरेटो कॉन्वेंट में एक टीचर की तरह आइ और बच्चों को पढ़ाने के कार्य को कर रही थी। एक बार वह कोलकाता से कहीं और जा रही थी तब उन्होंने कोलकाता की झोपड़पट्टी मे रहे गरीब लोगों और दलित लोगों के परेशानी को देखा।

वही दृश्य उनका हृदय पूरी तरह टूट गया और उन्होंने इन लोगों की सहायता के लिए अपना पूरा जीवन दे दिया उस दिन से उन्होंने हर एक दिन ऐसे लोगों की मदद करने में ही अपनी पूरी जिंदगी लगा दी।

Mother Teresa का मन भारत में रह रहे गरीब और दलित लोगों को देखकर विचलित हो उठे उन्होंने यह ठान लिया कि वह अपना पूरा जीवन गरीब और दलित लोगों और कष्ट में पड़े लोगों की मदद के लिए लगा देंगे। उन्होंने सारी चीजें त्याग कर एक सन्यासी का धर्म अपनाया और लोगों की मदद करने में जुड़ गया।

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उन्होंने अपने सारे पारंपरिक वस्त्रों को त्याग कर एक नीली पट्टी वाली साड़ी पहनी और उसके बाद उन्होंने पूरे समाज कल्याण के कार्यों में जुड़ गए उन्होंने भारत के कुष्ठ रोगियों को अपने बच्चों की तरह इलाज किया उन्होंने इस बात का प्रचार किया कि कुष्ठ रोग छूने से फैलने वाला रोग नहीं है उन्होंने भारत में भेदभाव छुआछूत जैसी बीमारियों से लड़ने का संकल्प किया और लोगों को इसके प्रति जागरूक किया उन्होंने लोगों को एक दूसरे के लिए प्यार के लिए प्रेरित किया।

इन सब के बाद भी लोगों के मदद के लिए नर्स की ट्रेनिंग ली यह ट्रेनिंग उन्होंने पटना से प्राप्त कि 1948 में जब कोलकाता वापस आए तो उन्होंने बच्चों को पढ़ाने के लिए एक स्कूल खोला क्योंकि इस वक्त हमारे देश को आजाद हुए बस 1 वर्ष हुआ था और अंग्रेजो ने हमारे देश को पूरी तरह से बर्बाद कर दिया था।

हमारे यहां बुनियादी शिक्षा नीति और लोगों को अच्छी संविदा भी प्राप्त नहीं हो रही थी Mother Teresa ने इन सब चीजों से लड़ा और लोगों को एक दूसरे की मदद करने के लिए प्रेरित किया।

बाद में उन्होंने एक चैरिटी कॉलेज इसका नाम मिशनरी ऑफ चैरिटी था। चैरिटी को 7 अक्टूबर 1950 को रोमन कैथोलिक चर्च का दर्जा प्राप्त हुआ आज यह संस्था पूरे विश्व में फैली हुई है और यह गरीब लोगों और बीमार लोगों की मदद करती हैं और गरीब लोगों के बच्चों को शिक्षा प्राप्त कर आती हैं।

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मदर टेरेसा के मान्यता था कि “प्यार की भूख रोटी की भूख से कहीं बड़ी” होती है। इसीलिए उन्होंने लोगों को कहा हम अपने लोगों को प्यार देंगे और उन्हें आगे बढ़ाएंगे तभी हम सच्चे मायने में मानव सेवा करेंगे सेवा का कार्य कठिन होता है और इस कार्य को करने के लिए पूर्ण समर्थन चाहिए।

जब तक आपके पास पूर्ण समर्थन नहीं तब तक आप इस कार्य को अच्छी तरीके से नहीं कर पाते हैं हमें लोगों को खिलाना चाहिए बेघरों का ही देना चाहिए और गरीब लोगों को मदद करनी चाहिए यही सेवा का कार्य है और तभी हमारा देश आगे बढ़ेगा।

 सम्मान 

Mother Teresa का कार्य बहुत ही महान था। उन्होंने समाज के लिए ईश्वर रूपी कार्य को किया। इन कार्यों के लिए मदर टेरेसा को कई सारे सम्मान से सम्मानित किया गया। विश्व भारती विश्वविद्यालय में उन्हें देशिकोत्तम पदवी दी जो कि उसकी ओर से दी जाने वाली सर्वोच्च पदवी है।

अमेरिका के कैथोलिक विश्वविद्यालय में उन्हें डॉक्टरेट की उपाधि से नवाजा गया। भारत में उन्हें 1962 में पद्मश्री अवार्ड दिया गया। इसके अलावा उन्हें और भी कई सारे पुरस्कार भारत में दिए गए और उसके बाद उन्हें भारत का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न से भी नवाजा गया उनका कार्य इन सब से कहीं बढ़कर था।

उन्होंने भारत को अपने घर से भी बढ़कर माना और यहां के लोगों की सेवा निष्ठा पूर्वक की और हमेशा गरीब और दुखी और दलित लोगों की मदद की उन्होंने कुछ रोगियों की मदद सबसे अधिक की और लोगों को कुष्ठ रोग के खिलाफ जागरूक किया।

अमेरिका के राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन ने Mother Teresa को प्रेसीडेंशियल मेडल ऑफ फ्रीडम से नवाजा गया मदर टेरेसा को रेमन मैग्सेसे अवार्ड शांति और अंतरराष्ट्रीय संबंधों के लिए नवाजा गया यह अवार्ड दक्षिण और पूर्व एशिया में किए गए अभूतपूर्व कार्यों के लिए दिया गया। मदर टेरेसा को 1979 में शांति के लिए नोबेल पुरस्कार दिया गया।

Mother Teresa को 9 सितंबर 2016 को वेटिकन सिटी में पोप फ्रांसिस के द्वारा संत की उपाधि से नवाजा गया।

 मदर टेरेसा की मृत्यु 

5 सितंबर 1997 में दिल का दौरा पड़ने के कारण मदर टेरेसा का निधन हो गया यह दिन पूरे समाज के लिए बहुत ही बुरा दिन था क्योंकि इस दिन हमने अपनी मां को खोया था Mother Teresa ने हर एक जरूरतमंद के लिए हमेशा कार्य किया और दलित लोगों को आगे बढ़ाया।

लोगों के दुख दर्द और समस्या को अपना दुख दर्द मानती थी उनके निवारण के लिए हमेशा कार्य करती थी उनके जीवन का एक ही उद्देश्य था मानव सेवा और उनका कहना था मानव सेवा से बढ़कर कोई सेवा ही नहीं है अगर आप ईश्वर को पाना चाहते हैं तो आप मानव सेवा को कीजिए तभी आप ईश्वर के पास जा पाएंगे।

मदर टेरेसा के जीवन से हमें सीखना चाहिए कि हमें अपने लोगों की मदद करते रहनी चाहिए हमें भी जरूरतमंद लोगों की मदद करनी चाहिए हमें अपने आसपास लोगों की मदद करनी चाहिए और हमेशा अपने समाज में प्यार और सद्भाव फैलाना चाहिए।

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मुझे उम्मीद है की मदर टेरेसा पर निबंध सरल भाषा में – Essay on Mother Teresa in Hindi के बारे में बताया यानी की Mother Teresa par Nibandh kaise Likhe इसकी पूरी जानकारी दिया तो अगर आपको ये आर्टिकल अच्छा लगा हो तो अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर।

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