Essay on Martin Luther King in Hindi – मार्टिन लूथर किंग पर निबन्ध

दोस्तों आज की इस आर्टिकल में हम आपको मार्टिन लूथर किंग पर निबंध सरल भाषा में – Essay on Martin Luther King in Hindi के बारे में बताएंगे यानी की Martin Luther King par Nibandh kaise Likhe इसके बारे में पूरी जानकारी देंगे यानी की आपको Martin Luther King par 1200 words का essay मिलेगा इसलिए ये आर्टिकल पूरा धेयान से पूरा पढ़ना है। ताकि आपके लिए हेलफुल साबित हो।

अमेरिका में भी अंग्रेजों ने शासन किया था तब अंग्रेज अफ्रीकी देशों से अश्वेत लोगों को वहां मजदूरी के लिए ले जाते थे अधिकतर बंधुआ मजदूर अफ्रीका और एशिया के देशों से थे अमेरिका अंग्रेजी शासन से मुक्त हो गया पर वहां के लोगों ने अफ्रीकी मूल के लोगों को स्वीकार नहीं किया वे अफ्रीकी मूल के निवासियों के साथ दास कितना प्यार करते थे।

उनके पति अमेरिका के ना देखो का व्यापार बहुत अमानवीय था अमेरिका में रंग और नस्ली भेदभाव बहुत अधिक था वहां के लोग अश्वेत लोगों को अपने बराबरी के लोग नहीं मानते थे इन सब से छुटकारा दिलाने के लिए मार्टिन लूथर किंग जूनियर ने बहुत ही संघर्ष किया मार्टिन लूथर किंग जूनियर को अमेरिका का महात्मा गांधी कहा जाता था।

Essay on Martin Luther King in Hindi

मार्टिन लूथर किंग जूनियर एक अहिंसा वादी नेता थे उन्हें शांति पर बहुत अधिक भरोसा था उन्होंने अमेरिका के लोगों को और अमेरिका के प्रशासन को चुनौती दी और वहां से नस्ली भेदभाव और रंग के आधार पर भेदभाव को खत्म किया।

Essay on Martin Luther King in Hindi – मार्टिन लूथर किंग पर निबन्ध

मार्टिन लूथर किंग जूनियर अमेरिका के एक प्रभावशाली समाजसेवी में से एक हैं उन्होंने समाज को जीने का नया तरीका सिखाया उन्होंने बताया कि हम सब लोग एक हैं और हमारे साथ इस तरह का व्यवहार नहीं होना चाहिए मार्टिन लूथर किंग अफ्रीकी की मूल के निवासी थे जब हमने इस देश को अपनाया है तो इस देश के लोगों को भी हमें अपनाना होगा हमने इस देश को बनाने में अपने खून पसीने की मेहनत लगाई है।

तो क्यों नहीं अमीर देश में एक बराबर का अधिकार मिलेगा मार्टिन लूथर किंग ने इन सब चीजों का मुद्दा बनाया और अश्वेत लोगों को अमेरिका में अधिकार दिलाया अमेरिका में सभी लोग एक बराबर है इसका श्रेय मार्टिन लूथर किंग हो जाता है।

 मार्टिन लूथर किंग के जीवन का एक ही उद्देश्य था कि वह लोगों के भलाई के लिए लोगों की सहायता के लिए अपना पूरा जीवन लगाएंगे जब उन्होंने देखा कि अमेरिका में पशुओं के साथ अमानवीय व्यवहार किया जा रहा है उन्हें बराबर का अधिकार नहीं दिया जा रहा है उनके साथ जानवरों की तरह बेतसुलुकी किया गया।

तब उन्होंने आवाज उठाई और लोगों को जागरूक किया उन्होंने अफ्रीकी मूल के लोगों को एक साथ किया और अपने अधिकार के लिए संघर्ष करने आव्हान किया अफ्रीकी मूल के अमेरिकी निवासी मार्टिन लूथर किंग के साथ खड़े रहे और उन्होंने उनके नेतृत्व में आकर अपनी अधिकार की लड़ाई लड़ी और आज उन्हें उनका अधिकार मिला।

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किसी भी देश की सबसे बड़ी कमजोरी होती है वहां हो रहे भेदभाव की समाज में जब भी भेदभाव उत्पन्न होता है तब देश में एक अलग तरह का माहौल उत्पन्न होता है जिससे देश के विकास में रुकावट और देश के लोगों में असुरक्षा की भावना पैदा होती है।

मार्टिन लूथर किंग महात्मा गांधी से बहुत ही प्रभावित हैं और उन्हें अपना प्रेरणा का स्रोत मानते थे उन्होंने महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन से प्रेरणा लेकर अमेरिका में असहयोग आंदोलन के तौर पर एक पहल चलाई जिसमें अश्वेत लोगों ने शांति से नस्ली भेदभाव के खिलाफ आंदोलन किया।

मार्टिन लूथर किंग ने पशुओं का अधिकार को सरकार के सामने रखा ताकि वहां के सरकार और व्यवस्थाएं अफ्रीकी मूल के अमेरिकी निवासियों का अपनाएं और उन्हें भी एक बराबर का अधिकार दे जो कि वहां के श्वेत लोगों को प्राप्त है। वहां के श्वेत लोगों का मानना था कि अफ्रीकी मूल के अमेरिकी निवासी और अश्वेत लोग सिर्फ दास हैं और उनके साथ दास के जैसा ही व्यवहार किया जाना चाहिए।

जब यह चीजें चरम सीमा पार कर गई और वहां के लोगों के साथ बहुत ही अत्याचार होने लगा तब अफ्रीकी लोगों ने इसका विरोध किया और मार्टिन लूथर किंग ने इस आंदोलन को एक नई दिशा दी ताकि सरकारें उनके बातों को सुन सके उन्होंने अपने लोगों से कहा जब हम शांतिप्रिय आंदोलन करेंगे

तब लोगों को हमारे व्यवहार और हमारे प्रति संवेदना जागेगी हमें अपने अधिकार के लिए लड़ना होगा और हमें उन्हें बताना होगा कि हम भी उनके जैसे मनुष्य हैं हमें भी वह अधिकार प्राप्त होने चाहिए जो श्वेत लोगों को प्राप्त हैं।

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मार्टिन लूथर किंग की जीवनी (Biography of Martin Luther king in Hindi)

मार्टिन लूथर किंग का जन्म 15 जनवरी 1929 को संयुक्त राज्य अमेरिका के अटलांटा राज्य में हुआ था। मार्टिन लूथर किंग जूनियर के पिता का नाम अल्बर्टा किंग था वह भी अमेरिका में एक पादरी और एक आंदोलनकारी थे जोकि अश्वेत की अधिकार के लिए आंदोलन कर रहे थे।

मार्टिन लूथर किंग को 1942 में 13 वर्ष की उम्र में ही असिस्टेंट मैनेजर के रूप में नौकरी मिल गई थी इतने कम उम्र मैं उन्हें अटलांटा जनरल के न्यूज़ डिलीवरी स्टेशन में असिस्टेंट मैनेजर की पद पर नौकरी मिले उन्होंने अपने पढ़ाई भी अटलांटा शहर से ही पूरी की।

अमेरिका में नस्ली भेदभाव उस वक्त चरम पर था वहां पर अफ्रीकन अमेरिकन लोगों के लिए अलग से स्कूल खोले जाते थे वह श्वेत लोगों के साथ पढ़ नहीं सकते थे यह सब चीजों के साथ मार्टिन लूथर किंग ने अपने जीवन बिताया उन्होंने उस वक्त से ही ठान लिया क्या वहीं भेदभाव को दूर करेंगे।

उन्होंने अपनी पढ़ाई बुगाटी वाशिंगटन हाई स्कूल से की जहां पर उन्होंने अपने B+ एवरेज बनाए रखा उत्तर में यह एकमात्र थे जो african-american लोग के साथ जाकर पढ़ाई कर सकते हैं।

मार्टिन लूथर किंग एक पादरी के घर में पले बढ़े थे पर उन्होंने अपने धर्म के कुछ कानूनों नियमों को विरोध करना शुरू कर दिया उन्होंने कहा हमारे लिए सबसे बड़ा धर्म है मानव सेवा जब हम एक दूसरों की सेवा करेंगे और एक दूसरे की मदद करेंगे तभी हम ईश्वर की पूजा कर पाएंगे। सच्चा धर्म मानवता का धर्म है और हमें यही मानना है।

मार्टिन लूथर किंग बचपन से बहुत अच्छा प्रवक्ता रहे पूरा स्कूल  उनको प्रवक्ता के तौर पर जानता है वह हमेशा अपने स्कूल के डिबेट में हिस्सा लिया करते थे और वहां पर अच्छे-अच्छे मुद्दों पर बात किया करते थे।

हाई स्कूल खत्म होने के बाद मार्टिन लूथर किंग मैं मूरहाउस कॉलेज में दाखिला लिया यह कॉलेज की एकमात्र कॉलेज है जहां पर अफ्रीकन अमेरिकी लोगों को पढ़ने की आजादी थी।

कॉलेज में अपनी पढ़ाई शुरू करने से पहले मार्टिन लूथर किंग अपने दोस्तों के साथ एक तो फॉर्म में काम करने के लिए चले गए यह फॉर्म Simsbury, Connecticut पर था। जरा पर उन्होंने कुछ ऐसा चीज देखा जो कि उन्होंने अपने जीवन में कभी कल्पना भी नहीं की थी।

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देखा कि यहां लोगों के साथ कोई भेदभाव नहीं है यहां अश्वेत लोगो गोरे लोगों के साथ मिल कर बैठ सकते हैं उठ सकते वह कहीं भी आ जा सकते हैं कुछ भी कर सकते हैं इसी संदर्भ में उन्होंने 1944 में अपने पिता को एक खत लिखा उसमें उन्होंने कहा कि मैंने ऐसी चीजें यहां देखी जो मैं कभी सोचा भी नहीं था।

यहां पर श्वेत लोग बहुत ही अच्छे हैं वे हमारे साथ बहुत ही अच्छा व्यवहार कर रहे हैं हम कहीं पर उठ बैठ सकते हैं हमें कहीं भी जाने का आजादी है यहां किसी भी प्रकार का नस्ली भेदभाव नहीं है।

मार्टिन लूथर किंग भारत और महात्मा गांधी से बहुत ही प्रभावित थे उन्होंने महात्मा गांधी से मिलने की इच्छा जताई और वह महात्मा गांधी से मिलने भारत आये भारत में उन्होंने फरवरी से लेकर मार्च तक 1 महीने बिताए और इन 1 महीनों में उन्होंने भारत में लोगों को देखा यहां उन्होंने देखा कि यहां लोगों में रंग के आधार पर भेदभाव नहीं होता है।

यहां सभी लोग एक साथ हैं और वह महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन से इतना प्रेरित हुए कि उन्होंने कहा कि हमें अपने हक के लिए भी अहिंसा के साथ लड़ना चाहिए इससे हमें अपने हक को पाने में बहुत ही आसानी होगी।

इन सब चीजों से प्रेरणा लेकर वह अपने हक के लिए लड़ने का विचार किया। 1955 का साल उनके जीवन के लिए सबसे निर्णायक साबित हुआ क्योंकि इस वर्ष उन्होंने एक चर्च में सार्वजनिक प्रवचन के लिए बुलाया गया था जहां पर उन्होंने  अश्वेत के साथ हो रहे भेदभाव पर प्रवचन दिया उस समय ही एक अश्वेत महिला रोजा पार्क को भेदभाव का सामना करना पड़ा था।

एक बस में बैठी थी और वहां पर एक ऐसी व्यवस्था थी जिसमें गुरु लोगों के लिए बसों की सीट आरक्षित होती थी रोजा पारकर उस गोरे लोगों की सीट पर बैठी थी जब उन्हें उस सीट से उठने को कहा तो उन्होंने इंकार कर दिया और इसी के तहत में गिरफ्तार कर लिया गया तभी मार्टिन लूथर किंग ने इसका विरोध किया और बस सेवा का परित्याग कर दिया 381 दिन तक यह आंदोलन अंतिम में अमेरिका के उच्च न्यायालय ने इस व्यवस्था को खारिज कर दिया।

उन्होंने कहा कि बस व सार्वजनिक जगहों पर ऐसी व्यवस्था नहीं होनी चाहिए जिससे कि भेदभाव हो यह उनके जीवन का बहुत ही महत्वपूर्ण क्षमता उन्होंने अपने लोगों को एक बहुत ही बड़ा अधिकार दिलाया था।

1964 में उन्हें विश्व शांति के लिए नोबेल पुरस्कार दिया गया उस वक्त तक सबसे कम उम्र में नोबेल पुरस्कार पाने वाले व्यक्ति मार्टिन लूथर किंग थे उन्होंने विश्व को बहुत कुछ दिया उन्होंने अमेरिकी समाज में अफ्रीकी अमेरिकी अधिकारों को दिलाया और उन्हें भी एक बराबर अधिकार दिलाया।

अपने कार्य के लिए उन्हें 1963 में विश्व के सबसे प्रख्यात टाइम पत्रिका ने उन्हें मैन ऑफ द ईयर चुना इसके अलावा उन्हें धार्मिक संस्थानों से संत की उपाधि ने विश्वविद्यालयों से  मानद की उपाधि भी प्राप्त हुई।

4 अप्रैल 1968 को मार्टिन लूथर किंग जूनियर की हत्या गोली मारकर कर दी गई उन्होंने  अश्वेत लोगों के अधिकार के लिए जीवन भर लड़ा और लोगों को एक समान अधिकार दिलाया।

उनके प्रमुख और प्रिय नारा थी कि “हम वह नहीं है जो हमें होना चाहिए और हम वह नहीं है जो होने वाले लेकिन खुदा का शुक्र है कि हम वह भी नहीं है जो हम थे” एक धार्मिक संत गुरु थे जिन्होंने लोगों के कल्याण और लोगों के अधिकार के लिए लड़ा था।

मार्टिन लूथर किंग एकमात्र ऐसे व्यक्ति थे जिनके जन्मदिन पर अमेरिका में राष्ट्रीय अवकाश घोषित किया गया है यह अवकाश सिर्फ वहां के राष्ट्रपतियों को है जो महान नेता  थे उनको प्राप्त है।

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तो दोस्तों मुझे उम्मीद है की मार्टिन लूथर किंग पर निबंध सरल भाषा में – Essay on Martin Luther King in Hindi के बारे में बताया यानी की Martin Luther King par Nibandh kaise Likhe इसकी पूरी जानकारी दिया तो अगर आपको ये आर्टिकल अच्छा लगा हो तो अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें।

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