दोस्तों आज की इस आर्टिकल में हम आपको सरदार वल्लभभाई पटेल पर निबंध सरल भाषा में – Essay on Sardar Vallabhai Patel in Hindi के बारे में बताएंगे यानी की Sardar Vallabhai Patel par Nibandh kaise Likhe इसके बारे में पूरी जानकारी देंगे यानी की आपको Sardar Vallabhai Patel par 1200 words का essay मिलेगा इसलिए ये आर्टिकल पूरा धेयान से पूरा पढ़ना है। आपके लिए हेलफुल साबित होगी।
सरदार वल्लभभाई पटेल हमारे देश के महान नेताओं में से एक हैं पूरा विश्व उन्हें लौह पुरुष के रूप में जानता है आज जो भी भारत का स्वरूप है इस स्वरूप को तैयार करने में सरदार वल्लभभाई पटेल का हाथ है सरदार वल्लभभाई पटेल ने हमारे देश को एक किया और देश की संस्कृति को संजोए रखा जब अंग्रेजी हमारे देश को आजाद किया था।
उन्होंने हमारे देश में बहुत सारे रजवाड़ों को आजादी दी इन रजवाड़ों को साथ में लाना और एक देश का निर्माण करने का कार्य सरदार वल्लभभाई पटेल ने किया सरदार वल्लभभाई पटेल ने देश के हर राज्य को एक किया और 500 से अधिक रजवाड़ों को हमारे देश में मिलाया आज हमारा देश संप्रभुता में एकता का देश है इसका श्रेय भी सरदार वल्लभभाई पटेल को जाता है।
Essay on Sardar Vallabhai Patel in Hindi – सरदार वल्लभभाई पटेल पर निबन्ध
सरदार वल्लभभाई पटेल ने आजादी के बाद देश की एकता की नींव रखी सरदार वल्लभभाई पटेल आजादी से पहले भी देशवासियों और देश की आजादी के लिए पुरजोर मेहनत किया उनका नाम लौह पुरुष इसलिए पड़ा क्योंकि वह एक दृढ़ निश्चय वाले इंसान थे।
उन्होंने अपने देश की आजादी के लिए दृढ़ निश्चय किया और उस आजादी को प्राप्त करने के लिए कठिन संघर्ष किया सरदार वल्लभ भाई पटेल कभी भी चुनौतियों के आगे झुके नहीं उन्होंने हर चुनौतियों का सामना किया और देश को आजादी दिलाई।
हमारे देश में कई संस्कृति हैं और कई भाषाएं बोली जाती हैं फिर भी इस देश को एक और देश के लोगों को एक करने सरदार वल्लभभाई पटेल को पूरा श्रेय जाता है आज हम एकता का एक प्रतीक बनकर उभरे हैं और इस एकता की नींव सरदार वल्लभभाई पटेल ने ही रखी।
Sardar Vallabhai Patel आजादी के बाद देश के निर्माण कार्य और देश के संविधान को बनाए रखने के लिए भी कार्य करते रहे। सरदार बल्लभ भाई पटेल ने समाज में चल रही कुरीतियों के खिलाफ आवाज उठाई और लोगों को जागरूक किया।
Sardar Vallabhai Patel ने भेदभाव जैसी और छुआछूत जैसी सामाजिक बीमारियों को दूर करने के लिए लोगों को जागरुक करते रहें। सरदार वल्लभभाई पटेल ने सभी देशवासियों को समान अधिकार दिलाने का कार्य किया और सभी राज्यों को भी समान अधिकार दिलाने का कार्य किया।
अंग्रेजों ने जब हमें आजादी दी तब उन्होंने हमारे देश के दो टुकड़े कर दी है एक हिस्सा पाकिस्तान और एक हिस्सा हिंदुस्तान कर दिया इस बंटवारे के कारण हमारे देश में बहुत उथल-पुथल मची बहुत से लोगों की जान गई इस कठिन परिस्थिति में हमारे देश के गृह मंत्री के रूप में Sardar Vallabhai Patel ने जिम्मेदारी संभाली और उन्होंने indo-pakistani युद्ध के समय देश के गृहमंत्री पद को संभाला।
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सरदार वल्लभभाई पटेल की जीवनी (Biography of Sardar Vallabhbhai Patel in Hindi)
सरदार वल्लभभाई पटेल का जन्म 31 अक्टूबर 1875 में नडियाद गुजरात में एक पटेल जाति में हुआ था। इनका बचपन का नाम वल्लभभाई पटेल था सरदार इनके नेतृत्व के कारण उपाधि दी गई थी। उनके पिता का नाम जुबेर भाई पटेल तथा माता का नाम लाडवा देवी था। वे अपने माता-पिता की चौथी संतान थे।
उन्होंने अपने प्राथमिक शिक्षा अपने गांव से प्राप्त की उसके बाद उन्होंने अपने आगे पढ़ाई के लिए लंदन गए वहां तो उन्होंने बैरिस्टर की पढ़ाई पूरी की बैरिस्टर की पढ़ाई पूरी करने के बाद Sardar Vallabhai Patel भारत आते है भारत में उन्होंने अहमदाबाद में वकालत की प्रैक्टिस शुरू की उसके बाद उन्होंने अहमदाबाद कोर्ट में ही वकालत करने लगे।
सरदार बल्लभ भाई पटेल वकालत के दौरान भी देश की राजनीति पर रुचि रखने लगे उन्होंने देश की आजादी के लिए और देश के लोगों के लिए कुछ करने की इच्छा रखने लगे इस वक्त महात्मा गांधी का प्रभाव पूरे देश में फैल चुका था।
सरदार वल्लभभाई पटेल भी महात्मा गांधी से प्रेरित होकर स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिया सरदार वल्लभभाई पटेल महात्मा गांधी के विचारों से बहुत प्रभावित हुए और उन्होंने यह निश्चय किया कि अब वे देश के आजादी के लिए स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेंगे और देश के आजादी के लिए कुछ भी करेंगे।
सरदार बल्लभ भाई पटेल का प्रभाव पूरे देश में तब पड़ा जब उन्होंने 1918 में खेड़ा संघर्ष में एक महत्वपूर्ण योगदान दिया। खेड़ा संग्रह किसानों द्वारा अंग्रेज सरकार को माफ करने के लिए था। 1918 के समय खेड़ा में बहुत भयंकर सूखा पड़ा जिसके कारण किसानों की फसल नष्ट हो गई और किसान अंग्रेजी सरकार से करो में छूट की मांग करने लगे पर अंग्रेज सरकार उनकी मांगों को नकारते रहे।
Sardar Vallabhai Patel और Mahatma Gandhi ने इन किसानों का नेतृत्व किया और किसानों को करना देने के लिए प्रेरित किया। किसानों को इन करो से बहुत ही परेशानी हो रही थी इसलिए उन्होंने आंदोलन के आर इस आंदोलन में सरदार वल्लभभाई पटेल एक अहम योगदान दिया।
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अंत में जाकर अंग्रेजी हुकूमत किसानों और सरदार वल्लभभाई पटेल और महात्मा गांधी के सामने झुके और उस वर्ष के सारे करो को माफ कर दिया गया।
1928 में सरदार वल्लभ भाई पटेल ने फिर से किसानों के एक आंदोलन का नेतृत्व किया। बारडोली सत्याग्रह के नाम से जाना जाता है। आजादी के संग्राम के दौरान यह बहुत ही महत्वपूर्ण किसान आंदोलन था यह आंदोलन अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ कर बढ़ाने के खिलाफ की गई थी।
इसमें प्रांतीय सरकारों ने अपने प्रांत के किसानों पर 30 फ़ीसदी अधिक कर लगा दिए थे इस लगान वृद्धि के विरोध में किसानों ने आंदोलन शुरू किया और इस आंदोलन का नेतृत्व सरदार वल्लभभाई पटेल ने किया।
अंग्रेजों ने इस आंदोलन को बर्बरता से कुचलने का प्रयास किया पर सरदार वल्लभभाई पटेल और किसान इस आंदोलन से मिलेनियर अपने दृढ़ निश्चय के कारण ब्रिटिश हुकूमत को उनके सामने झुकना पड़ा उन्होंने एक न्यायिक अधिकारी बनाएं ब्लूमफील्ड राजस्व अधिकारी मैक्सवेल ने संपूर्ण मामले की जांच की और 30% कर को गलत बताया।
यह सत्याग्रह आंदोलन लोगों के मन में सरदार वल्लभभाई पटेल की एक अलग ही छवि प्रदान की इस आंदोलन की सफलता के बाद वहां की महिलाओं ने वल्लभ भाई पटेल को सरदार की उपाधि दी और तभी से हम इन्हें सरदार वल्लभ भाई पटेल के नाम से जानते हैं सरदार यानी मुखिया जो कि अपने लोगों की नेतृत्व करता है और अपने लोगों के दुख दर्द और समस्याओं को दूर करता है।
जब हमारा देश आजाद हुआ उस वक्त अंग्रेजों ने 562 देसी रियासतों को आजादी दी यह 562 देशी रियासतें हमारे देश के ही हैं पर हर जगह पर अलग-अलग राजाओं का शासन था अंग्रेजों ने इन सारे जगहों को एक साथ आजादी दी।
उस समय इन सभी रियासतों को एक साथ लाना सबसे बड़ी चुनौती थी। सरदार वल्लभभाई पटेल ने आजादी से पूर्व ही बहुत सारे राज्यों को मिलाने का कार्य किया यह कार्य उन्होंने वीपी मेनन के साथ मिलकर किया।
15 अगस्त 1947 को जब हमारे देश को आजादी मिली तब सरदार वल्लभ भाई पटेल को उप प्रधानमंत्री एवं गृह मंत्री का पद दिया गया। सरदार वल्लभभाई पटेल गृहमंत्री के रूप में उनका सबसे बड़ा कार्य था कि देसी रियासतों को एक साथ लाना और एक संविधान के अंदर उनको लाना।
सरदार वल्लभ भाई पटेल ने इस कार्य को बखूबी पूरा किया और आज हम एक अखंड भारत को देखते हैं इसका श्रेय वे सरदार वल्लभभाई पटेल को ही जाता है। सिर्फ हैदराबाद स्टेट, जम्मू एवं कश्मीर और जूनागढ़ ऐसे रियासत थे जो कि देश में मिलना नहीं चाहते थे। जूनागढ़ एक छोटा सा रियासत था जो की पूरी तरह से भारतीय भूमि से घिरा हुआ था।
वह पाकिस्तान के समीप भी नहीं था पर वहां के नवाब पाकिस्तान से भिलाई होना चाहते थे और जूनागढ़ में अधिकतर आबादी हिंदू की थी जिसके कारण वहां विरोध शुरू हो गया और सरदार वल्लभ भाई पटेल ने वहां से ना उतारी और जिससे वहां के नवाब डर कर पाकिस्तान भाग गए तब जाकर जूनागढ़ रियासत भारत से मिला।
हैदराबाद स्टेट को भी मिलाने के लिए सेना की मदद लेनी पड़ी। हैदराबाद रियासत भारत का सबसे बड़ा रियासत था वहां के निजाम पाकिस्तान के बहकावे में एक स्वतंत्र राज्य के लिए अडिग रहें उन्होंने अपने राज के सेना को बढ़ाने लगे और बहुत सारे हत्यारों का जमा करने लगे।
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सरदार वल्लभभाई पटेल इन सब से चिंतित होकर भारतीय सेना को हैदराबाद प्रवेश करने का आदेश दिया 13 सितंबर 1948 को भारतीय सेना ने हैदराबाद में प्रवेश किया। 3 दिनों बाद हैदराबाद के निजाम ने आत्मसमर्पण कर दिया और 1948 में हैदराबाद का विलय भारत में हुआ।
जम्मू कश्मीर के साथ कुछ अलग हुआ जम्मू कश्मीर के राजा एक हिंदू राजा थे वह भारत के साथ विलय करना नहीं चाहते थे पर जब पाकिस्तान ने उन पर हमला किया तब वे भारत के साथ इस शर्त पर मिले हुए कि उनके राज्य को एक स्पेशल दर्जा दिया जाए और इसी के तहत आर्टिकल 370 बनाया गया जिसके तहत जम्मू-कश्मीर को एक स्पेशल राज्य दर्जा दिया गया।
बाकी अन्य सभी देशी रियासतें खुशी खुशी इस देश के संविधान और लोकतंत्र में शामिल हुई। इसी कार्य के कारण सरदार वल्लभ भाई पटेल को आज पूरा विश्व लौह पुरुष के रूप में जानता है।
आजादी के बाद भी देश में सभी रियासतों को एक करना सबसे बड़ी चुनौती थी सरदार वल्लभ भाई पटेल ने इस कार्य को बखूबी निभाया। हमें सरदार वल्लभभाई पटेल से सीखना चाहिए कि हमें किस प्रकार अपने कार्यों को दृढ़ निश्चय से करना चाहिए सरदार वल्लभभाई पटेल सच्चे मायने में एक लौह पुरुष थे जिन्होंने अपने देश की अखंडता को बनाए रखा।
15 दिसंबर 1950 में 75 वर्ष की आयु में सरदार वल्लभ भाई पटेल का निधन हो गया यह दिन हमारे देश की राजनीति और हमारे देशवासियों के लिए बहुत ही बुरे दिन में से एक है क्योंकि इस दिन हमने हमारे देश का लौह पुरुष को खो दिया जिन्होंने हमारे देश को अखंड बनाया और देश की एकता को बनाए रखा।
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मुझे उम्मीद है की सरदार वल्लभभाई पटेल पर निबंध सरल भाषा में – Essay on Sardar Vallabhai Patel in Hindi के बारे में बताया यानी की Sardar Vallabhai Patel par Nibandh kaise Likhe इसकी पूरी जानकारी दिया तो अगर आपको ये आर्टिकल अच्छा लगा हो तो अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर।