Essay on APJ Abdul Kalam in Hindi – एपीजे अब्दुल कलाम पर निबंध

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Essay on APJ Abdul Kalam in Hindi

भारत के मिसाइल मैन के रूप में पूरा विश्व एपीजे अब्दुल कलाम को जानता है। एपीज अब्दुल कलाम भारत के 11 वे राष्ट्रपति थे उन्होंने देश की सेवा बहुत ही लगन से की है देश के सबसे प्रसिद्ध वैज्ञानिकों में से एक हैं एपीजे अब्दुल कलाम एपीजे अब्दुल कलाम हमारे देश को सशस्त्र बल में बहुत ही मजबूत बनाया उन्होंने देश में नई-नई तकनीकों और मिसाइलों के काम में बहुत ही अधिक कार्य किए देश के मिसाइल प्रणाली को मजबूत एपीजे अब्दुल कलाम ने ही किया।

Essay on APJ Abdul Kalam in Hindi एपीजे अब्दुल कलाम पर निबंध

एपीजे अब्दुल कलाम भारत के सबसे सरल राष्ट्रपति में से एक हैं उन्होंने देश के लोगों को एकता और अखंडता का ज्ञान दिया उन्होंने देश की शिक्षा व्यवस्था और देश में शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए अपने पूरे जीवन भर में बहुत ही कार्य किए आज भी सभी बच्चे एपीजे अब्दुल कलाम को अपना एक पाथदर्शक मानते हैं और उनके मार्ग में चलते हैं।

हमारे देश को परमाणु सक्षम बनाने में APJ Abdul Kalam ने बहुत ही अहम भूमिका निभाई है जब पहली बार हमारे देश में परमाणु परीक्षण किया गया तब इस परीक्षण के मुख्य लोग और वैज्ञानिक एपीजे अब्दुल कलाम ही थे उन्होंने देश परमाणु शक्ति प्रदान की।

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एपीजे अब्दुल कलाम की जीवनी (Biography of APJ Abdul kalam in Hindi)

भारत रत्न डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम का जन्म 15 नवंबर 1931 में तमिलनाडु के रामेश्वरम जिले में हुआ था। उनका जन्म रामेश्वरम के एक मध्यमवर्गीय मुस्लिम परिवार में हुआ। डॉ एपीजे अब्दुल कलाम का पूरा नाम अबुल पाकिर जलालुद्दीन अब्दुल कलाम है उनके पिता का नाम जलालुद्दीन कलाम है।

उनके पिता बहुत पढ़े-लिखे नहीं थे और ना ही वह किसी बड़े व्यवसाय से जुड़े हुए थे वह रामेश्वरम के  मछुआरों को मछली पकड़ने के लिए नाव किराए में देते थे Dr. APJ Abdul Kalam एक संयुक्त परिवार में रहते थे उनका बचपन रामेश्वरम में बीता है इसीलिए उन्हें हिंदू और मुस्लिम रीति-रिवाज दोनों की बहुत ही अच्छी समझ थी देश की एकता को उन्होंने रामेश्वरम से ही समझा।

Dr. APJ Abdul Kalam बचपन से ही पढ़ाई के प्रति बहुत ही अग्रसर थे उन्होंने अपने पढ़ाई के लिए बहुत ही मेहनत की। डॉ एपीजे अब्दुल कलाम के जीवन में उनके पिता का बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान रहा। APJ Abdul Kalam के पिता ने उन्हें लगन और मेहनत से कार्य करने का एक बहुमूल्य मंत्र दिया और डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम ने इस मंत्र को जीवन भर अपने हर एक कार्य में लगाया।

उन्होंने विज्ञान के कठिन कठिन चीजों को खुद से अध्ययन करके सीखा डॉ एपीजे अब्दुल कलाम एक पायलट बनना चाहते थे और उन्होंने अपने इस इच्छा को खुद के मेहनत से पूरा किया उन्होंने खुद ही इसके पढ़ाई की और इसके बाद वे एक फाइटर जेट उड़ाने में सक्षम हुए।

डॉ एपीजे अब्दुल कलाम ने अपने प्रारंभिक शिक्षा 5 वर्ष की आयु में अपने गांव के प्राथमिक स्कूल से की उनके शिक्षक ने उनसे कहा कि जीवन में सफल होने के लिए आस्था  पूर्ण इच्छा और लगन के साथ अपने कार्य को करते रहना चाहिए।

तभी जाकर तुम अपने हर एक कार्य में सफल होंगे डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम अपने पिता और शिक्षक के इन बातों को हमेशा अपने जीवन में उतारते रहे और आज भी हमारे देश के मिसाइल मैन के रूप में जाने जाते हैं उन्होंने अपना पूरा जीवन शिक्षा और अपने देश के विकास और देश की मजबूती के लिए लगा दिया।

Dr. APJ Abdul Kalam ने अपने प्रारंभिक शिक्षा और आगे की शिक्षा को जारी रखने के लिए बहुत ही मेहनत किया उन्होंने अपनी पढ़ाई के लिए अखबार बेचने का भी कार्य किया वे रोज सवेरे उठते और रामेश्वरम स्टेशन जाकर अखबार लाते और उन अखबारों को रामेश्वरम में बेचते।

Dr. APJ Abdul Kalam इन इंग्लिश अखबारों को खुद भी पढ़ते और इन्हीं अंग्रेजी अखबारों की मदद से उन्होंने अंग्रेजी की अच्छी जानकारी प्राप्त की इन अखबारों की मदद से उन्होंने अपने आगे की पढ़ाई भी की और साथ ही साथ बहुत ही महत्वपूर्ण ज्ञान भी हासिल किए।

डॉ एपीजे अब्दुल कलाम का बचपन से ही सपना था कि वह अंतरिक्ष विज्ञान के बारे में सीखें और क्षेत्र में एक अच्छा काम करें इसीलिए उन्होंने 1950 में मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी अंतरिक्ष विज्ञान के विषय में स्नातक की डिग्री ली।

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1950 में स्नातक की डिग्री लेने के बाद उन्होंने DRDO (Defence Research and Development Organisation) के हावर क्राफ्ट परियोजना में काम करने के लिए चुना गया।

1962 में डॉ एपीजे अब्दुल कलाम ISRO में कार्यरत हुए अपने कार्य के दौरान उन्होंने बहुत सारे स्वदेशी उपग्रहों के कार्यक्रम में कार्य किया और उन्होंने इन कार्यक्रमों में बहुत ही अहम भूमिका निभाई।

डॉ एपीजे अब्दुल कलाम भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान के परियोजना निदेशक भी बने और उन्होंने पहला स्वदेशी उपग्रह slv-3 लांच किया डॉ एपीजे अब्दुल कलाम को इसकी सफलता का श्रेय दिया गया।

उन्होंने भारत के कई अहम उपग्रहों में बहुत ही अहम भूमिका निभाई जैसे कि रोहिणी उपग्रह जो कि पृथ्वी की कक्षा के निकट स्थापित है डॉ एपीजे अब्दुल कलाम भारत के अंतरिक्ष के क्षेत्र को विश्व में एक अलग पहचान दिलाई।

आज इसरो की सफलता का श्रेय और ऊंचाई का श्रेय डॉ ए पी जे अब्दुल कलाम को दिया जाता है क्योंकि उन्होंने अपने कार्यकाल में इस क्षेत्र के विकास के लिए बहुत ही अहम भूमिका निभाई।

ISRO के  launch vehicle प्रोग्राम को इतना सफल बनाने का श्रेय भी डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम को मिलता है उन्होंने देश के विकास के लिए हर एक कार्य किया जो वह कर सकते थे।

Dr APJ Abdul Kalam को तो मिसाइल मैन भी कहा जाता है क्योंकि उन्होंने देश को गाइडेड मिसाइल उपहार में दिया देश में पहली गाइडेड मिसाइल डॉ एपीजे अब्दुल कलाम द्वारा ही तैयार की गई। उन्होंने देश को पृथ्वी और अग्नि जैसी शक्तिशाली गाइडेड मिसाइल प्रदान की।

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देश के आधुनिक अंतरिक्ष और आधुनिक हथियारों कचरे डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम को मिलता है उन्होंने अंतरिक्ष और हथियार दोनों के क्षेत्र में बहुत ही अहम भूमिका निभाई उन्होंने देश को नई तकनीक की दुनिया में लाया।

डॉ एपीजे अब्दुल कलाम 1992 से लेकर 1999 तक रक्षा मंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार के रूप में भी काम किया। डॉ एपीजे अब्दुल कलाम को सुरक्षा शोध और विकास विभाग का सचिव भी बनाया गया।

आज हमारा देश एक परमाणु संपन्न देश है इसका श्रेय भी डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम को दिया जाता है जब प्रधानमंत्री अटल बिहारी जी ने गुप्त रूप से परमाणु परीक्षण करने का निर्णय लिया तब इस परियोजना का मुख्य वैज्ञानिक डॉ एपीजे अब्दुल कलाम थे।

प्रधानमंत्री अटल बिहारी जी ने इस परियोजना की सारी जिम्मेदारी डॉ एपीजे अब्दुल कलाम को दी डॉ एपीजे अब्दुल कलाम ने इस जिम्मेदारी को पूरी तरीके से निभाया और सफलतापूर्वक परमाणु परीक्षण किया।

डॉ एपीजे अब्दुल कलाम ने अपनी पूरी जिंदगी सीखने में और देश के विकास में लगा दिया वह देश के जनता राष्ट्रपति के रूप में जाने जाते हैं क्योंकि वह बहुत ही सरल व्यक्तित्व वाले इंसान थे।

Dr APJ Abdul Kalam 2002 में राष्ट्रपति चुने गए और राष्ट्रपति पद में रहते हुए उन्होंने देश के तकनीकी क्षेत्र और विकास के लिए बहुत ही अहम कदम उठाए और देश को एक नई तकनीकी युग में पहुंचाया।

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डॉ एपीजे अब्दुल कलाम 2007 में राष्ट्रपति पद से निवृत्ति हुए। इसके बाद वह कैसे शिक्षा के क्षेत्र में आए और उन्होंने 2015 तक कई सारे यूनिवर्सिटी और विश्वविद्यालयों में विजिटिंग प्रोफेसर तथा अन्ना विश्वविद्यालय में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग के प्रोफेसर के तौर पर सेवा दी।

2015 में हमारे देश में इस महान व्यक्तित्व को खो दिया 2015 में iim shilong में ‘रहने योग्य ग्रह’के विषय पर लेक्चर दे रहे थे उसी दौरान उन्हें दिल का दौरा पड़ा और इस दिल का दौरा के कारण उनकी मौत हो गई।

डॉ एपीजे अब्दुल कलाम हमारे देश के सबसे महान व्यक्ति में से एक हैं उन्होंने देश की शिक्षा को नए युग में पहुंचाया और देश को एक नई तकनीकी युग में पहुंचाया आज हमारे देश में विज्ञान की तकनीक इतनी तेजी से आगे बढ़ रही है इसका श्रेय भी डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम को दिया जाता है।