दुर्गा पूजा पर निबंध सरल भाषा में – Essay on Durga Puja in Hindi

दोस्तों आज की इस आर्टिकल में हम आपको दुर्गा पूजा पर निबंध सरल भाषा में – Essay on Durga Puja in hindi के बारे में बताएंगे यानी की Durga Puja par Nibandh kaise Likhe इसके बारे में पूरी जानकारी देंगे यानी की आपको Durga Puja par 1200 words का essay मिलेगा इसलिए ये आर्टिकल पूरा धेयान से पूरा पढ़ना है। आपके लिए हेलफुल साबित होगी।

दुर्गा पूजा भारत का सबसे महत्वपूर्ण पूजा है। दुर्गा पूजा हिंदुओं का बहुत ही महत्वपूर्ण त्यौहार है। इसमें हम देवी दुर्गा की पूजा करते हैं यह पूजा बुराइयों में अच्छाई की जीत पर मनाई जाती है। दुर्गा पूजा को बंगाली और बंगाल में बहुत ही हर्षोल्लास से मनाया जाता है इस पूजा को हमारे देश में बहुत ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है.

Essay on Durga Puja in Hindi
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Durga Puja का इंतजार सभी लोग बड़ी बेसब्री से करते हैं इस पर्व को आज सभी धर्म के लोग मनाते हैं क्योंकि इस पर्व में सभी लोग एक दूसरे के साथ मिलते हैं अपने रिश्तेदारों के साथ मूल्यवान समय बिताते हैं और साथ ही देवी दुर्गा की पूजा करते हैं।

दुर्गा पूजा पर निबंध सरल भाषा में – Essay on Durga Puja in Hindi

हमारा देश त्योहारों का देश है और हमारे हरेक त्योहार का एक अलग ही  महत्व है हर धर्म के लोगों का देवी दुर्गा पर बहुत ही बड़ा आस्था है और आज सभी धर्म के लोग दुर्गा पूजा को बहुत धूमधाम से मनाते हैं।

दुर्गा पूजा पूरे भारत में बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है पर इस पर्व का एक अलग ही रूप बंगाल उड़ीसा झारखंड असम जैसे इलाकों में  देखने को मिलता है। दुर्गा पूजा की तैयारी एक महीना पहले से ही शुरू हो जाती है यह पूजा 9 दिनों तक चलती है। Durga Puja को नवरात्रि भी कहा जाता है।

यह हिंदू धर्म का सबसे पावन दिन भी होता है। इन 9 दिनों तक हम देवी दुर्गा की अलग-अलग रूपों की पूजा करते हैं।दुर्गा पूजा में हर एक जगह पर भव्य पंडाल सजाया जाता है और इस पूजा को बहुत ही धूमधाम के साथ पूरे देश में मनाया जाता है हमारे देश के अलग-अलग राज्यों में इस पूजा को बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।

पंजाब और गुजरात में इसे दशहरे और नवरात्रि पूजा के तौर पर मनाया जाता है गुजरात में नवरात्र के दिन सांस्कृतिक नृत्य गरबा का भी आयोजन किया जाता है। Durga Puja के अवसर पर हमारे देश में दो-तीन दिनों का अवकाश रहता है इस पूजा के समय हर एक सरकारी दफ्तर तथा निजी दफ्तर, स्कूल और कॉलेज में बंद रहती हैं।

दुर्गा पूजा का इंतजार छात्रों बहुत ही बेसब्री से करते हैं बच्चे इस पूजा का इंतजार बहुत ही बेसब्री से करते हैं। वैसे तो दुर्गा पूजा 10 दिनों का पूजा होता है पर आखिरी के 3 दिनों में पंडालों में भव्य भीड़ लगने लगते हैं। आखिरी के 3 दिनों में देवी दुर्गा की मूर्ति की पूजा की जाती है। इन 3 दिनों में हर जगह की रौनक देखने बनती है.

पूरे शहर को दुल्हन की तरह सजा दिया जाता है हर एक जगह पर एक महंगा पंडाल बनाया जाता है और पूरे शहर में रंग-बिरंगे लाइटें और फूलों से सजाया जाता है। दुर्गा पूजा बंगाल का सबसे महत्वपूर्ण त्यौहार है इस पूजा में सभी परिवार नए नए कपड़े खरीदते हैं और पूजा का आनंद उठाते हैं और देवी दुर्गा की पूजा अर्चना करते हैं।

दुर्गा मां शक्ति का प्रतीक है सभी लोग दुर्गा पूजा में दुर्गा मां की पूजा अर्चना करते हैं और अपने परिवार की शक्ति और अपनी शक्ति के अर्चना करते हैं।

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दुर्गा पूजा क्यों मनाया जाता है (Why Durga Puja is Celebrated in Hindi)

दुर्गा पूजा मनाने के संदर्भ में हमारे हिंदू पौराणिक कथाओं में बहुत सी कहानियां प्रचलित हैं उनमें से 2 कहानियां बहुत ही प्रचलित है।

 1. story  पहली कहानी है जिसमें राक्षसों के राजा महिषासुर ने पूरे मानव जाति पर अत्याचार करने लगे और फिर स्वर्ग में भी जाकर बहुत ही अपनी बुराइयों पर अत्याचार करने लगे। तब सभी भगवानों ने मानव कल्याण और लोगों को महिषासुर का अत्याचार से बचाने के लिए विचार करने लगे।

तब देवी सती ने महिषासुर का वध करने का निर्णय लिया देवी सती का ही रूप दुर्गा मां है और देवी दुर्गा को देव लोक के देवताओं ने अपने सारे अस्त्र दिए और पूजा अर्चना के साथ देवी दुर्गा को महिषासुर का वध करने के लिए भेजा गया।

दुर्गा मां 9 दिनों तक महिषासुर से युद्ध करते रहे और अंतिम दिन में दुर्गा मां ने महिषासुर का वध किया। देवी दुर्गा ने महिषासुर का वध किया और मानव जाति को उसके अत्याचार से मुक्त कराया। तभी से देवता गन और मानव ने देवी दुर्गा की पूजा शुरू की। आज भी लोग बुराई पर अच्छाई की जीत पर दुर्गा पूजा मनाते हैं।

 1. story  दूसरी कहानी भगवान श्री राम पर आधारित है जब भगवान श्री राम सीता मां को राक्षस रावण से छुड़ाने के लिए लंका की ओर चले तभी उन्होंने अपनी शक्ति अर्चना के लिए देवी दुर्गा की पूजा शुरू की और उस वक्त देवी दुर्गा उनकी पूजा-अर्चना से प्रसन्न होकर भगवान श्रीराम को जीत का आशीर्वाद और शक्ति प्रदान की।

भगवान श्री राम और रावण के बीच भी 9 दिनों तक युद्ध चला। दसवे दिन भगवान श्री राम ने रावण का वध किया और सीता मां को रावण के चुंगल से छुड़ाया और उसी दिन से दशहरा पर्व मनाया जाने लगा।

उत्तर भारत में इस पर्व को दशहरा का नवरात्रि के रूप में मनाया जाता है दशहरा के दिन लोग रावण का पुतला बनाते हैं और उसका दहन करते हैं यह पर्व अच्छाई की बुराई पर जीत की खुशी में मनाया जाता है।

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Durga Puja कैसे मनाया जाता है

Durga Puja की तैयारी एक महीना पहले से ही शुरू हो जाती है सभी शहरों को बहुत ही अच्छे से साफ किया जाता है तथा उन जगहों में विशेष तैयारियां की जाती है जहां पर दुर्गा पूजा का पंडाल लगाया जाता है। दुर्गा पूजा के पंडाल की तैयारी 1 महीने पहले से शुरू की जाती है और दुर्गा मां की मूर्तियों की तैयारी भी बहुत दिनों पहले से ही शुरू की जाती है।

दुर्गा पूजा में भव्य और सुंदर सुंदर मूर्तियां बनाई जाती हैं यह पूजा सितंबर और अक्टूबर महीने के बीच में होती है दुर्गा पूजा के लिए सभी लोग बेसब्री से इंतजार करते हैं। बंगाल उड़ीसा और झारखंड जैसे इलाकों में इस पर्व को बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है यहां पर करोड़ों और लाखों रुपयों के पंडाल और मूर्तियां बनाई जाती हैं।

Durga Puja बंगाल का बहुत ही महत्वपूर्ण त्यौहार है दुर्गा पूजा में सभी लोग नए नए कपड़े खरीदते हैं तथा अपने परिवार के साथ दुर्गा पूजा का मेला घूमने जाते हैं इस दिन सभी लोग अपने परिवार के साथ दुर्गा पूजा के भव्य पंडालों का दर्शन और दुर्गा मां के पूजा अर्चना के लिए पंडाल में जाते हैं।

आजकल Durga Puja के पंडालों को ऐसे भी डिजाइन किया जाता है ताकि इस पंडाल के द्वारा समाज में एक अच्छा विचार पेश कर सकें अभी दुर्गा पूजा में अलग अलग सामाजिक विचार धाराओं के आधारित पर पंडाल बनाया जाता है जैसे कि पर्यावरण को कैसे प्रदूषण से बचाएं नारी शक्ति समाज में नहीं आए.

ऐसी बहुत ही सामाजिक विचारधारा ऊपर दुर्गा पूजा का पंडाल तैयार किया जाता है ताकि जो भी लोग दुर्गा मां के दर्शन के लिए पंडाल में आए उनके अंदर एक अलग मैसेज जाए और वह समाज कल्याण के विचारधारा को समझें ताकि लोगों के अंदर एक मौलिक विचार धारा उत्पन्न हो।

दुर्गा पूजा 9 दिनों तक मनाया जाता है पहले दिन कलश स्थापना की जाती है और उसी दिन से दुर्गा मां की पूजा शुरू हो जाती है हर एक दिन दुर्गा मां के अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है लोग इस पावन पूजा में 9 दिनों तक उपवास करते हैं और अधिकतर लोग आखिरी 3 दिनों में उपवास और पूजा अर्चना करते हैं।

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9 दिनों के पूजा के बाद जिसे हम नवमी की पूजा भी करते हैं इस दिन पूजा-अर्चना के बाद अगले दिन विजयदशमी के दिन दुर्गा मां की मूर्ति को तालाब नदी में विसर्जन किया जाता है। दुर्गा मां का विसर्जन को बहुत ही धूमधाम के साथ किया जाता है।

विजयादशमी के दिन सभी लोग अपने सगे संबंधियों और रिश्तेदारों से मिलने जाते हैं पर अपने बड़ों का आशीर्वाद लेते हैं सभी लोग अपने बड़ों के पैर छूकर उनसे आशीर्वाद लेते हैं इस दिन घरों में अलग-अलग प्रकार का व्यंजन बनाया जाता है। विजयदशमी के दिन घर में आए लोगों को यह व्यंजन और मिठाइयां दी जाती हैं।

दुर्गा पूजा बहुत ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। दुर्गा पूजा हमारे देश का बहुत ही महत्वपूर्ण और मुख्य त्योहार में से एक है और आज इसे हर धर्म के लोग मनाते हैं।

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